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पुण्यतिथी विशेष : पाकिस्तान की परमाणु धमकी पर क्या बोले थे अटल जी?

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Aug 16, 2022

सदैव अटल रहेंगे वाजपेयी

हाइलाइट्स –

  1. सिंधिया से हारने पर क्यों हंसे थे अटल?
  2. क्यों प्रोटोकॉल तोड़कर फैज से मिलने पहुंचे थे वाजपेयी?
  3. पाकिस्तान की परमाणु धमकी पर क्या कहा था?

साल 2018 में आज ही के दिन दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIMS) में लंबी बीमारी के बाद इस दुनिया से जाने वाले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की आज पुण्यतिथी है, जहां एक ओर उनके स्मारक “सदैव अटल” पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री अटल जी को श्रध्दांजलि अर्पित करने पहुंचे वहीं दूसरी ओर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जे.पी. नड्डा समेत कई लोग उनको पुष्पांजलि अर्पित की वहीं साल 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित वाजपेयी जी को देश का प्रत्येक नागरिक उनकी जयंति पर सोशल मीड़िया के जरिए नमन कर रहा है।

आइये आज आपको बताते हैं कुछ ऐसे किस्से जो वाजपेयी जी को हमारे बीच में सदैव अटल रखेंगे -

 

सिंधिया से हारने पर हंसे थे अटल जी – बात 1984 लोकसभा चुनाव की है, जब जनसंघ और बीजेपी की संस्थापक राजमाता विजयाराजे सिंधिया के बेटे माधवराव सिंधिया कांग्रेस में थे, ग्वालियर से चुनाव मैदान में बीजेपी ने अटल जी के नाम की घोषणा की तो कांग्रेस ने माधवराव को टिकट दे दिया. चुनाव में अटल जी को हार का सामना करना पड़ा लेकिन अपनी हार पर अटल जी जमकर हँसे और खुश हुए, इस बात का कारण पूछे जाने पर उन्होनें कहा कि –  “मुझे मेरी हार का गम नही है बल्कि इस बात की खुशी है कि माँ बेटे की बगाबत को मैंने सड़क पर आने से रोक दिया” अगर मैं ग्वालियर से चुनाव नहीं लड़ता तो राजमाता अपने बेटे के  खिलाफ चुनाव लड़तीं जो मैं नहीं चाहता था, क्योंकि चुनाव मैदान में ही सही लेकिन माँ और बेटा एक दूसरे के विपक्ष में लड़ें यह भारतीय संस्कृति की परम्परा नही है।

 

जब प्रोटोकॉल तोड़कर फैज से मिलने पहुंचे गये थे सब जानते हैं कि वाजपेयी जी को कविताऐं लिखने और पढ़ने का कितना शौक था एक बार तो वह बतौर विदेश मंत्री पाकिस्तान के आधिकारिक दौरे पर थे, और वहीं पर अटल जी प्रोटोकॉल तोड़ कर फ़ैज़ से मिलने उनके घर चले गए,  फ़ैज़ के साथ बाकि लोग भी चकित हो गये थे कि दोनों दो तरह से सोचने वाले लोग आज एक साथ कैसे? मिलने पर वाजपेयी जी ने कहा –  मैं सिर्फ एक शेर के लिए आप से मिलने आया हूं, और शेर पढ़ा –

कोई राह में जचा ही नहीं’ फ़ैज़‘मक़ाम

जो कू-ए-यार से निकले तो सू-ए-दार चले ।। 

कहते हैं कि यह सुनकर फ़ैज़ भावुक हो गए थे, और फिर अटल जी ने उन्हैं भारत का आने का न्यौता भी दिया जिसके बाद फैज ने भारत के कई कविसम्मेलन और मुशायरों में अटल जी के साथ अपना जादू बिखेरा।

 

जब पाकिस्तान ने दी थी परमाणु विस्फोट की धमकी - 1999 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल का भीषण युद्ध चल रहा था उस समय भारत का प्रधानमंत्री पद संभाल रहे थे अटल बिहारी वाजपेयी, युद्ध के दौरान जब दोनों देश युद्ध भूमि में अपनी अपनी शारीरिक और सैन्य शक्ति का जोर आजमाने में लगे हुए थे उस समय कूटनीति भी अपना काम भलीं भांति समझ रही थी. लेकिन इन दो देशों के अलावा कोई ओर भी था जो चाहता था कि भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही कारगिल वॉर का जल्द से जल्द अंत हो सके....इसी प्रयास में रात को 2 बजे प्रधानमंत्री निवास पर फोन आया अमेरिका के राष्ट्रपति बिल किलंटन का. अमेरिकी राष्ट्रपति ने फोन पर अटल जी से बात करते हुए कहा कि - भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे युद्ध का असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है, सभी देश इस युद्ध से परेशान हो रहे हैं, और मैं चाहता हूँ कि कल सुबह होते ही आप इस युद्ध को रोकने की घोषणा करें और अपने मसले को बातचीत के जरिए सुलाझाने का प्रयास करें. इस बात से परेशान वाजपेयी चुप हो गये और थोडी देर सोचकर गंभीर स्वर में बोले.....क्या ये बात आपने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से कही. जबाव मिला हां कही तो थी लेकिन पाकिस्तान से हमें यह उत्तर मिला है कि यदि भारत की तरफ से यह युद्ध नहीं रोका गया तो हम (पाकिस्तान) कल सुबह भारत पर परमाणु हमला कर देंगे और दुनिया से भारत का ऩाम मिटा देंगे...........यह सुनकर बाजपेयी जी का उत्तर था - ठीक है श्रीमान, मैं अभी इसी समय से भारत की आधी आबादी को खत्म मानता हूँ लेकिन आपको इस बात का विश्वास दिलाता हूँ कि यदि पाकिस्तान की यही चाहत है तो पाकिस्तान कल सुबह का सूरज नही देखेगा और कल सुबह से दुनिया में पाकिस्तान नाम का देश नहीं होगा.....इतना कहकर अटल जी ने फोन रख दिया...और फिर अगली सुबह यानि 25 जुलाई जो  भी हुआ वो हम सभी जानते हैं. पाकिस्तान ने भारतीय सेना के सामने सरेंड़र किया और अपनी हार  को स्वीकार किया जिसे हम प्रतिवर्ष कारगिल विजय दिवस के नाम से मनाते हैं।