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बालाघाटः महिला बाल विकास के अमले ने रुकवाया बाल विवाह

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Jun 11, 2019

राज बिसेन- अशिक्षा और जानकारी के अभाव में आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह की प्रथा बदस्तूर जारी है। ये मामला आदिवासी बाहुल्य बालाघाट के बिरसा तहसील का है, जहां लड़का लड़की दोनों नाबालिग थे, जिनका विवाह कराया जा रहा था। हम सभी जानते हैं कि  नियमानुसार विवाह करने वाले लड़के की उम्र 21 वर्ष, लड़की की उम्र 18 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए। इससे कम उम्र के बच्चों की शादी कराना कानूनन जुर्म है।

बाल विवाह करने और कराने वाले और उनमें शामिल होने वाले प्रत्येक लोग होते हैं दोषी

बाल विवाह करने और कराने वाले जिसमें वर-वधु पक्ष के माता-पिता, विवाह समारोह में शामिल होने वाले रिश्तेदार, डेकोरेशन और यहां तक की मंत्रोचारण करने वाले पंडित को भी दोषी माना गया है। इसके बावजूद भी नाबालिगों का विवाह कराना दर्शाता है कि आज भी समाज में अशिक्षा, रूढ़िवादी परम्पराएं हावी हैं। ये मामला बिरसा तहसील का है जहां ग्राम जानपुर की नाबालिग लडकी और पौनी के नाबालिग लड़के का विवाह होना था। स्कूली दस्तावेजों के अनुसार लड़के की जन्म तारीख 14 दिसंबर 1999 और लड़की की 20 मार्च 1993 पाई गई। इस बात की सूचना जब क्षेत्र की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को लगी तो उसने महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी को सूचना दी जिन्होंने तत्काल दोनों पक्षों के घर पहुंचकर विवाह रुकवाया।