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विकास प्राधिकरण घोटाले में जीडीए सीईओ ने मांगा अबतक का अपडेट

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Mar 5, 2018

प्राधिकरण में जो घोटाला हुआ है, उसने सबको सकते में डाला हुआ है, 11 साल बाद भी जीडीए उन अरबों रूपए के जमीनों की 26 मूल फाइलों की तलाश में लगा है जिसे एक बड़ी साजिश के तहत प्राधिकरण के ऑफिस से 2008 में गायब कर दिया गया था। 

ग्वालियर विकास प्राधिकरण यानि की जीडीए में 2008 में हुए घोटाले की परतों को फिर से खोलने का काम शुरू हो गया है। जीडीए के नए सीईओ ने पड़ाव थाना पुलिस से इस घोटाले में अब तक का अपडेट मांगा है। दरअसल जीडीए से संबंधित ग्रह निर्माण समितियों की 26 मूल नस्तियां साल 1992 से 2006 के बीच गायब हो गई थीं। इस कारण हजारों हितग्राही जीडीए से खरीदी संपत्तियों की रजिस्ट्री और नामांतरण नहीं करा सके। जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ा और प्राधिकरण द्वारा 21 अगस्त 2008 को एफआईआर दर्ज कराई गई।

ग्वालियर विकास प्राधिकरण ने आंनदनगर, शताब्दीपुरम और दीनदयाल नगर सहित कुछ अन्य क्षेत्रों में गृह निर्माण समितियों से जीडीए को जमीन का हस्तांतरण व नामांतरण नहीं किया है। जबकि इसके बदले उन्हें दी गयी जमीन हाउसिंग सोसाइटी ने बेच दी है जिन पर मकान भी बन गए है। उधर जीडीए उन ज़मीनो की रजिस्ट्री कर लोगों से रकम भी ऐंठ चुका है। पीड़ित लोग  ऐसी कई शिकायतें लेकर जीडीए के पास पहुंचे हैं जिनमें कहा गया है कि जिस जमीन की रजिस्ट्री उन्हें की गई है उस पर कब्जा किसी और का है। कुछ समितियों ने जमीन के दस्तावेज बैंक गारंटी में इस्तेमाल कर लोन निकाल लिया है। जिसके बाद एकाएक जीडीए से उन्हीं जमीनों की ये 26 फाइलें गुम हो जाती है। अब कांग्रेस ने इस मामले को लेकर सरकार को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है।

इन सोसाइटी के मूल नस्तियां हैं गायब—

· 21वीं सदी गृह निर्माण समिति

· पारस गृह निर्माण समिति

· गंगा बिहार गृह निर्माण समिति

· शिक्षक गृह निर्माण समिति

· जनक गृह निर्माण समिति

· गोवार्धन गृह निर्माण समिति

· ईवा गृह निर्माण समिति

· गोवार्धन गृह निर्माण समिति

ऐसे लगभग सैकड़ों हितग्राही अलग-अलग क्षेत्रों में परेशान हो रहे हैं और उन्हें प्लॉट का कब्जा नहीं मिल रहा है। मध्यप्रदेश हाउसिंग सोसाइटी के नियम के मुताबिक सोसाइटी जमीन खरीदकर जीडीए को जमीन विकास करने के लिए देती है। जीडीए उतनी ही जमीन कॉलोनी के रूप में विकसित कर उसी जगह या बदले में दूसरी जगह उपलब्ध कराती है। लेकिन दोनों ने मिल जुलकर बड़ा घोटाला कर जीडीए और आम लोगो को चूना लगा दिया है। कई ऐसे मामले उजागर हुए हैं जिसमें कॉलोनाइजर ने अपनी जमीन जीडीए को दी नहीं, उलटे जीडीए के प्लॉट बेचकर कॉलो​नी बसवा दीं। जब इस मामले की परतें खुली तो, आधिकारियों ने जीडीए से उन फाइलों को गायब करा दिया।
इन फाइलों के गुम होने के मामले में ये प्राधिकरण के ये आधिकारी शक के दायरें में है—

· तत्कालीन जीडीए सीईओ वीके शर्मा।

· आवक-जावक बिहारी बाबू।

· कर्मचारी हरकिशन शर्मा, संजय तोमर, संतोष पाठक, मुन्नालाल माहौर, साधना 
  सोनखासकर।  

· तत्कालीन ईई बीबी माथुर।

बहरहाल अब ये सवाल भी बड़ा हो चला है कि 11 साल फिर से उखड़े इस घोटाले के आरोपी शिंकजे में आ पाएंगे या फिर महज नए सीईओ की औपचारिकता मात्र रह जाएंगी।