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सरकार ने अध्यादेश के जरिए खत्म किया वन विकास उपकर

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May 8, 2018

प्रदेश में वनोपज खरीदने वाले व्यापारियों को राज्य सरकार ने नई राहत दी है। सरकार ने पिछले 36 सालों से वनोपज की बिक्री पर लग रहे 3 प्रतिशत वन विकास उपकर को खत्म कर दिया है, इसके लिए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अध्यादेश जारी कर दिया है। वनोपज की बिक्री पर तीन प्रतिशत वन विकास उपकर लगाने के लिए वर्ष 1982 में मप्र कराधान अधिनियम प्रभावशील किया गया था। इस अधिनियम के तहत स्कूल बिल्डिंग उपकर तथा खनिज क्षेत्र विकास उपकर भी लगाने का प्रावधान है।

वन विकास उपकर में प्रावधान किया गया था कि वन विभाग, वन विकास निगम, राज्य सहकारी विपणन संघ तथा राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा वनोपज की बिक्री के समय उसे खरीदने वाले व्यापारियों से वनोपज की बिक्री कीमत पर तीन प्रतिशत की दर से वन विकास उपकर वसूला जाए। वन विकास उपकर की राशि बाद में वन विभाग के खाते में जाती थी जिसका उपयोग वह सामाजिक वानिकी, वनीकरण, पुनर्वनीकरण व वनों के पुनर्वास तथा वनों के विकास में करता था।

चूंकि अब प्रदेश सहित पूरे देश में जीएसटी कानून लागू है और उसके अंतर्गत व्यापारियों को टैक्स देना होता है, इसीलिए वनोपज क्रय करने वाले व्यापारियों ने मांग की थी कि अब यह वन विकास उपकर उनसे नहीं लिया जाए। इसीलिए अब राज्य सरकार ने इसे अध्यादेश जारी कर खत्म कर दिया है। विधानसभा के वर्षाकालीन सत्र में इस अध्यादेश को सदन के पटल पर रखा जाएगा तथा विधेयक के रुप में इसे पारित किया जाएगा। कराधान अधिनियम के तहत अब स्कूल बिल्डिंग उपकर तथा खनिज क्षेत्र विकास उपकर पूर्ववत लगता रहेगा।