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शासकीय योजना की आस में दो साल से खुले आसमान में रहने को मजबूर परिवार

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Mar 20, 2017

सिवनी। जिले का एक परिवार ऐसा भी है जो शासकीय योजना की आस लगाये पिछले दो साल खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर है, आदिवासी ग्राम कहानी का रहने वाला है। जो अपने दो बच्चों के साथ पिछले दो वर्षों से शासकीय योजनाओं में आवास पाने की दरकार कर रहा है लेकिन इस बेसहारे परिवार को दर-दर ठोकरो के अलावा कुछ नहीं मिल रहा है। जानकारी के मुताबिक उसके पास गरीबी रेखा का कार्ड है, लेकिन राशन नहीं मिलता। घर नहीं होने से पिता अपने दोनों बच्चों के साथ खुले में जीवन जीने को मजबूर है। पत्नी भी घर छोड़कर चली गई है। ऐसा नहीं है कि मजदूर रामप्रसाद के पास पहले से घर नहीं था। दरअसल, रामप्रसाद का घर एक सरकारी कार्यालय के सामने था जो अतिक्रमण के दायरे में आने से तोड़ दिया गया। जिस कारण पूरा परिवार आज सड़कों पर भटक रहा है। अब देखना होगा कि सरकारी अधिकारियों की नींद कब खुलती है और कब तक इस मजबूर पिता को सिर छिपाने के लिए मकान मिलेगा। बड़ा सवाल यह उठता है कि देश और प्रदेश की सरकार गरीबी और मजदूरों के हित में अनेकों हितकारी योजनाओ का बखान करती है तो वह योजना धरातल में नजर क्यों नहीं आती। योजना सही मायनों में धरातल में नहीं सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गई है या प्रशासन में बैठे नुमाइंदे शासन की योजनाओ में पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है।        -   स्वराज संवाददाता,  जितेन्द्र बकोड़े