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ग्वालियर नगर निगम बनाएगी शहर के तीन से ज्यादा लोगों के ट्रेड लायसेंस

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Jan 2, 2019

विनोद शर्मा : ग्वालियर शहर में छोटा-मोटा कामधंधा कर रोज-मर्रा का गुजारा करने वालों पर अब निगम के लायसेंस की मार पड़ने वाली है। जी हां ग्वालियर शहर में फल, फूलमाला, सड़क किनारे खिलौने-गमले बेचने या हर छोटे-छोटे काम करने वाले लोगों को तीन साल का ट्रेड लाय़सेंस लेना पड़ेगा। ग्वालियर नगर निगम शहर के तीन से ज्यादा लोगों के ट्रेड लायसेंस बनाएंगी। शुल्क जमा कर लायसेंस न बनवाने वालों का कारोबारी सामान जब्त किया जाएगा। मजदूर संगठनों ने निगम के इस फैसले को तुगलकी फरमान बताते हुए आंदोलन करने की चेतावनी दी है।

ग्वालियर शहर में एक लाख छोटे-मोटे कारोबारी है जो व्यापार करते है, इनके पास बयाकदा शासन-प्रशासन का लायसेंस होता है। इनके साथ ही शहर में करीब तीन लाख लोग है, जो ठेलों ये फेरी लगाकर फल-सब्जी, गमले-खिलौने, दूध-दही, फूलमाला जैसे सामान बेचकर गुजारा करते हैं। इन लोगों को शासन-प्रशासन का लायसेंस नही लेना होता था। सरकार ने प्रदेश के पांच बड़े शहरों में मजदूरनुमा छोटे-मोटे कारोबार करने वाले लोगों के लायसेंस का जिम्मा नगर निगमों को सौंप दिया है। निगम चाहे तो इनको लायसेंस जारी कर सकता है, इसी के तहत ग्वालियर नगर निगम ने अब शहर के इन तीन लाख लोगों को भी व्य़ापारिक श्रेणी में मानकर लायसेंस जारी करने का फैसला किया। नगर निगम इनसे शुल्क वसूल कर तीन साल के लिए ट्रैड लाय़सेंस जारी करेगी।

शहर के तीन लाख कामगारों को नगर निगम नए साल में ट्रेड लायसेंस के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है। निगम की एमआईसी में ये प्रस्ताव रखा गया, जिस पर मोहर लगना बाकी है। लेकिन निगम के इस फैसले को मजदूर नेताओं ने तुगलकी फरमान बताया है। मजदूर नेताओं का कहना है कि छोटे-मोटे कामधंधे कर गुजारा करने वाले लोगों को व्यापारिक दायरे में लाना गलत है। निगम अगर ट्रेड लायसेंस जारी करेगी तो फिर व्यापारी और कामगार-मजदूर में कोई फर्क नहीं रहेगा। वैसे ट्रेड लायसेंस के दायरे में लाने के फैसले पर जनवरी महीने से अमल शुरु होने वाला है। नगर निगम इसे रिकॉर्ड के लिए बेहतर कदम बता रही है। लेकिन इस फैसले से मजदूर संगठन आंदोलन के मूड में आ गए हैं।