Oct 8, 2021
गोविंद सिंह पड़िहार | अनादिकाल से आद्य शक्ति के रूप में दुधाखेड़ी माँ के मंदिर के महत्व मालवा, मेवाड़ व हाड़ोती अंचल के सुदूर गाँव में सुप्रतिष्ठित है। मन्दसौर जिले के तहसील भानपुरा से गरोठ रोड पर 10 किलोमीटर दूर दुधाखेड़ी माताजी का यह दिव्य मंदिर स्थित है। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। माताजी पंचमुखी रूप में विराजित है। प्रतिमा के सम्मुख अतिप्राचीन एक अखण्ड ज्योत प्रज्वलित है।
13 वीं सदी से पूजा अर्चना का प्रमाण
लोक मान्यता है कि पौराणिक नरेश मोरध्वज की आराध्या देवी थी। स्थापत्य इतिहास की दृष्टि से 13 वीं सदी से निरंतर यहाँ पूजा अर्चना का प्रमाण मिलता है। मराठाकाल में लोकमाता अहिल्याबाई ने धर्मशाला बनवाई। कोटा के मुहासिब आला, झाला जालिम सिंह की यह आराध्या देवी रही। इन्होंने यहाँ धर्मशाला व ग्वालियर नरेश सिंधियाँ ने भी यहाँ धर्मशाला बनवाई। प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु यहाँ आते हैं। लकवा बीमारी से पीड़ित यहाँ स्वास्थ्य लाभ लेते देखे जाते हैं। दैहिक, दैविक और भौतिक कष्ट का निवारण होता है।
कलयुग में श्रद्धालुओं की शक्ति के रूप मे विराजित
दोनों नवरात्री में मेला लगता है, लेकिन इस साल भी कोविड वज़ह प्रशासन मेला रद्द कर दिया गया है।
हजारों श्रद्धालु धर्म लाभ करते हैं प्राप्त
दुधाखेड़ी माता जी का पहले प्राचीन मंदिर था जिसके स्थान पर भव्य नवीन मंदिर का निर्माण कार्य प्रगति पर है , यहाँ नवरात्रों के शुभ अवसर पर अध्यात्मिक एवं धार्मिक उत्सवों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, जिसमें मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं पुरे देश से केशरमाता माँ के असंख्य भक्तजन परिवार सहित दर्शनार्थ पहुँचते हैं।
दुधाखेड़ी माता जी भानपुरा से 12 कि. मी. दुर और गरोठ से 16 कि. मी. दुर स्थित है। नवरात्रि के समय दुधाखेड़ी माताजी के नौ रूप देखने को मिलते हैं। रोज नये रूप मे माता जी अपने भक्तों को दर्शन देती है,, मान्यता है कि माता की मूर्ति इतनी चमत्कारी है कि कोई भी भक्त उनसे आँख नहीं मिला पाता है। यहाँ पर जबसे मन्दिर बना है तब से एक अखण्ड जोत भी चल रही है। कई किलोमीटर लम्बी यात्रा करके भक्त यहाँ आते हैं।
कोविड को लेकर बरत रहे सतर्कता
अभी की बात करें तो नवरात्रा को लेकर स्थानीय प्रशासन भी सक्रिय है कोविड-19 कर भी सतर्कता बरत रहे हैं जिसे लेकर एडिशनल एसपी महेंद्र तारणेकर थाना प्रभारी एवं तहसीलदार लगातार निगरानी बनाए रखे हुए हैं