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श्योपुरःजिन कॉलेजों का नाम निशान नहीं वे तैयार कर रहे भविष्य, जिले में संचालित कई फर्जी डीएलएड कॉलेज

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Jan 31, 2020

हेमकुमार तिवारी - शिक्षा विभाग में आपने कई तरह के फर्जीवाड़े देखें होंगे और सुने होंगे लेकिन ऐसे फर्जीवाड़े को आज हम उजागर करने जा रहे हैं जिनका नामोनिशान तक नहीं है, लेकिन कागजों में बिल्डिंग और अच्छी तालीम का वादा किया जाता है। ऐसे कॉलेज जिनका जमीन पर नामोनिशान नहीं है, जिन्हें आज तक किसी ने देखा तक नहीं है। वह कॉलेज छात्रों के एडमिशन कर भविष्य का शिक्षक बनाने की डिग्री बांट रही है। ऐसे जादुई कॉलेज विजयपुर क्षेत्र में सामने आए हैं। खास बात यह है कि इन फर्जी कॉलेजों की शिकायतें श्योपुर में एसडीएम से लेकर कलेक्टर तक पहुंच चुकी है, लेकिन प्रशासन शिक्षा के इस भ्रष्टाचार को लेकर फिलहाल तो सक्रिय नजर नहीं आ रहा है।

हर साल 100-100 छात्रों को देते हैं डिग्री

विजयपुर तहसील के गसवानी गांव में श्रीसिद्धिविनायक कॉलेज ऑफ एज्युकेशन के नाम से डीएलएड कॉलेज चल रहा है, जिसे 2017-18 में मान्यता दी गई है। बीते साल यहां से करीब 100 छात्रों को बीएड की डिग्री भी बांटी गई है। जबकि सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार यह कॉलेज की बिल्डिंग गसवानी गांव के खसरा नंबर 33/84 में बनी है, लेकिन इस सर्वे में तो पूरे गांव में ऐसी कोई बिल्डिंग या कॉलेज नहीं है। इसी तरह दूसरा फर्जी डीएलएड कॉलेज धोविनी क्षेत्र के गांव सेहुला में सलोनी बी.एड. कॉलेज के नाम से कागजों में ही चल रहा है। जबकि सेहुला या धोविनी के किसी भी व्यक्ति ने आज तक सलोनी बी.एड. कॉलेज का नाम तक नहीं सुना है, ना ही इसे देखा है, लेकिन यह कॉलेज बीते तीन साल से 100-100 छात्रों को डिग्री बांट रहा है।

संबंधित अधिकारी शक के दायरे में

इसी तरह अन्य और भी श्योपुर जिले में फर्जी कॉलेज संचालित हैं। जबकि डीएड बीएड कॉलेजों की मान्यता के नियम यह है कि जब तक उसका भवन बनकर तैयार नहीं हो जाता, तब तक मान्यता के लिए आवेदन भी नहीं कर सकते हैं। इन कॉलेजों को मान्यता दिए जाने से पहले उनका निरीक्षण करने के लिए दिल्ली से नेशनल काउंसलिंग टीचर सोसाइटी ऑफ एजुकेशन एनसीटीई की पांच दलीय टीम आती है। जब यह टीम सहमत होती है, तब इसकी अनुशंसा पर ही कॉलेज को मान्यता मिलती है। लेकिन गसवानी, सेहुला और बीरपुर में बिना भवन के कॉलेजों को एनसीटीई की टीम ने क्या देखकर मान्यता दे दी, यह जांच का विषय है। अगर इसकी जांच हो तो उच्च शिक्षा के फर्जीवाड़े की पोल खुल सकती है और जिले में फर्जी कागजों पर चल रहे कॉलेजों का फर्जीवाड़ा उजागर हो सकता है।