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अब गजकेसरी योग में मनेगा गुरु पूर्णिमा का पर्व

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Jul 26, 2018

विनोद शर्मा : इस बार गुरु पूर्णिमा का पर्व शुक्रवार को गजकेसरी योग में मनाया जाएगा। इस दिन गुरु पूर्णिमा व्रत के साथ-साथ व्यासपीठ पूजा एवं संन्यासियों के चातुर्मास का प्रारंभ भी होगा। पूर्णिमा के दिन खग्रास चंद्रग्रहण का सूतक दोपहर 2:54 बजे से प्रारंभ होगा। यह सूतक प्रदोष काल में रहेगा। यही समय भगवान सत्यनारायण की पूजा एवं अनुष्ठान का होता है, इसलिए सत्यनारायण की पूजा से पूर्व व्रती को स्नान करना चाहिए। पूजन में पके हुए अन्न का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि सूतक काल से ही पके हुए अन्न को दूषित माना जाता है। 

गंगादास की बडी शाला के महंत रामसेवक महाराज के अनुसार गुरु पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ आज रात्रि 11:16 बजे हो रहा है, लेकिन शुक्रवार को सूर्योदय में पूर्णिमा तिथि होने के कारण गुरु पूर्णिमा का पर्व शुक्रवार को ही मनाया जाएगा। ग्रहण के सूतक काल से पूर्व गुरु पूजन कर लेना चाहिए। जिन जातकों के गोचर भ्रमण या वीसूत्रीय महादशा के अनुसार गुरु ग्रह अशुभ हैं उसे दूर करने के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु का पूजन कर पीले वस्त्र, पीले खाद्य पदार्थ का दान करें। साथ ही गुरु मंत्र का जाप करें। 

आषाढ़ पूर्णिमा को आदि गुरु वेद व्यास का जन्म हुआ था, उनके सम्मान में ही आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है।ज्योतिर्विद डॉ.एचसी जैन के अनुसार खग्रास चंद्र ग्रहण का प्रारंभ 27 जुलाई को रात 11:54 बजे से होगा। खग्रास का प्रारंभ रात 1 बजे तथा मध्य काल 1:54 बजे होगा। खग्रास रात 2:43 बजे समाप्ति काल तथा ग्रहण का समाप्ति काल 3:49 बजे होगा। इस तरह ग्रहण का पूरा समय 3:55 घंटे का होगा। ग्रहण का सूतक 27 जुलाई को दोपहर 2:54 बजे से प्रारंभ हो जाएगा। 

इसलिए मनाई जाती है गुरुपूर्णिमा
यही दिन गुरु के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने का सबसे उपयुक्त दिन है। शास्त्रों में कथा आती है कि आषाढ़ी पूर्णिमा को आदि गुरु वेद व्यास का जन्म हुआ था वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे। गुरु पूर्णिमा का यह दिन उन्हीं को समर्पित है गुरु पूर्णिमा के दिन महर्षि वेद व्यास ने चारों वेदों की भी रचना की थी इसी कारण से उनका नाम वेद व्यास पड़ा। उन्हें आदिगुरु कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है।