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मोहनपुरा डेम के खुले 8 गेट, एनएच पहले ही कर चुका था गेट खोलने की मांग

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Aug 25, 2018

राजेन्द्र शर्मा :  दूधी नदी के पुल के डूबने के साथ ही उस पुल से पानी उतारने के लिए अब जल संसाधन विभाग ने नायाब तरीका निकालाते हुए डैम के गेट खोला शुरू कर दिए। पहले दिन चार गेट खोले और दूसरे दिन फिर से चार गेट खोलकर कुल 8 गेट खोल डाले।  720 क्युसक पानी छोड़े जाना जबकि अभी जल भराव क्षमता से डैम में पानी काफी कम है। उधर डैम के गेट खोलने के कारण कालीपीठ रोड का पुल डूब गया व रोड बंद हो गया।

उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण लगातार मोहनपुरा डैम का जल स्तर बढ़ रहा है। उधर कुशलपुरा डैम के गेट खोलने के कारण नेशनल हाईवे क्रमांक 03 पर दूधी बनी रियासतकालीन पुल डूब गया। पुल डूबने के साथ ही उक्त पुल पर फिर से यातायत बहाल करने एवं पुल से पानी को हटाने के लिए डैम के गेट खोल दिए गए। हालांकि जल संसाधन विभाग का मानना है कि उक्त डैम के गेट टेस्टिंग करने के लिए खोले हैं। जबकि पिछले दिनों ही नेशनल हाईवे के अधिकारियों ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा था कि वाटर लेबल 388 तक मेंटेन किया जाए, ताकि छोटा पुल का यातायात चालू रहे। क्योंकि बड़ा पुल फिलहाल पूरी तरह से बनकर तैयार नहीं हुआ है। यदि वाटर लेबल 390 तक पहुंचा तो पुल डूब जाएगा और एनएच बंद हो जाएगा। 

हालांकि पुल डूबने के पहले ही एनएच ने आनन-फानन में बड़ा पुल अधूरी स्थिति में शुरू कर दिया। पुल शुरू करने के साथ ही यातायात तो शुरू कर दिया, लेकिन पुल अभ्ाी भी अधूरा है। लेकिन अब दूधी पुल पर फोरलेन के लिए बने नए पुल को पूरी तरह से दुरूस्त करने के लिए एवं पुराने पुल को शुरू करने के लिए डैम के आठ गेट खोलकर लाखों लीटर पानी बहाया जा रहा है। उधर कुण्डालिया के पांच गेट खुले रहने के कारण वहां पर भी पानी बहता रहा। गेट खोलने के साथ ही राजगढ़ ब्लाक के 08 गांवों में खिलचीपुर ब्लाक के 16 गांवों में दूसरे दिन भी अलर्ट जारी रहा। हालांकि दोपहर तक जिले में रिमझिम बारिश का दौर भी चलता रहा।

तो क्यों नहीं भराने किया 398 लेबल तक पानी
मोहनपुरा डैम का निर्माण पूर्ण होने के साथ ही लोकार्पण भी हो गया। डैम की कुल जल भराव क्षमता 398 वाटर लेबल है। लेकिन यहां पर जैसे ही 390 के ऊपर पानी भराने के कारण दूध्ाी नदी का पुल डूबा उसके अगले ही दिन विभाग ने चार गेट खोल दिए। जब पुल फिर भी नहीं डूब से बाहर आया तो चार गेट और खोल दिए गए। ऐसे में बड़ी बात यह है कि जब 398 तक पानी भरा ही नहीं पाया तो आखिर फिर गेट क्यों खोले।

रेलवे पुल व पटरी को भी बचाने की तैयारी
मोहनपुरा डेम के आठ गेट खोलने के पीछे एक कारण यह भी रेलवे ट्रैक व पटरी को बचाया जाए। जानकारी के मुताबिक दूधी नदी पर स्थित रेलवे ब्यावरा-पचोर ेलवे लाइन का 2.70 किमी का हिस्सा डूब क्षेत्र में आ रहा है। इसके अलावा रेलवे का पुल भी डूबना तय है। रेलवे के अधिकारियों ने भी पिछले दिनों जल संसाधन को पत्र लिखकर कहा था कि डैम का वाटर लेबल मेंटेन किया जाए। क्योंकि 395 पर पटरी व पुल डूब जाएगा। लेकिन 395 तक वाटर लेबल पहुंचने के पहले ही डेम के गेट खोल दिए गए। 

कालीपीठ रोड हुआ बंद, बहता रहा पानी
मोहनपुरा डैम के आठ गेट खोलन के कारण कालीपीठ रोड का पुल जलमग्न हो गया। छोटे पुल पर पानी आने के कारण जिला मुख्यालय से कालीपीठ रोड सहित दर्जनों गांवों का संपर्क कट गया। गेट खोलने के पहले ही प्रशासन एवं पुलिसकर्मियों ने मौके पर पहुंचकर यातायात को पूरी तरह से बंद कर दिया था। उन्हें दण्ड जोड होकर निकाला गया। देर शाम तक उक्त रास्ता पूरी तरह से बंद रहा। 

डूब प्रभावित गांवों में पानी भराने का डर
उधर प्रशासन एवं जल संसानधन विभाग को डूब प्रभावित गांवों में भी पानी भराने का खतरा सता रहा था। कई गांव ऐसे है जो अभी खाली नहीं हुए हैं। यदि जल भराव बढ़ता तो उक्त गांवों में भी पानी भराने का खतरा बना रहता। डैम को खाली करने के पीछे एक कारण यह भी माना जा रहा है।