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मप्र राइट टू वाटर एक्ट के तहत पानी को प्रदूषित करने वालों को हो सकती है जेल

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Feb 17, 2020

भोपाल: प्रस्तावित मप्र राइट टू वाटर एक्ट के बनने के पश्चात् नदी-तालाब, कुएं, बावड़ी के पानी को प्रदूषित करने वालों को जेल हो सकती है। इस प्रस्तावित कानून के ड्राफ्ट में सार्वजनिक जलस्रोत को दूषित करने पर 18 महीने की जेल और 1 लाख रुपये जुर्माने तक की सजा का प्रावधान किया गया है। वही पेयजल आपूर्ति करने वाली संस्थाओं (नगर निगम या ग्राम पंचायत) के स्वच्छ पेयजल के निर्धारित मानकों को पूरा नहीं कर पाने पर 5 हजार रुपये की पेनल्टी हर बार चुकाना पड़ सकती है। इसी तरह घरों में वाटर हार्वेस्टिंग यूनिट नहीं लगाने वालों पर 5 हजार रुपये पेनल्टी का प्रावधान रखा गया है।

प्रदेश में होगा राज्य जल प्रबंधन प्राधिकरण का गठन

जलपुरुष राजेंद्र सिंह की अध्यक्षता में तैयार किए गए राइट टू वाटर एक्ट के ड्राफ्ट के अनुसार पानी के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश में राज्य जल प्रबंधन प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। इस से जुड़ी शिकायतों के तत्काल हल के लिए शहरी क्षेत्रों में हर नगरीय निकाय में एक जल शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त किया जायेगा। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में ब्लॉक स्तर पर एक जल शिकायत निवारण अधिकारी होगा। वही इनकी नियुक्ति सिर्फ 5 साल के लिए होगी। हर 5 साल पश्चात् या तो इन्हें दोबारा नियुक्त किया जाएगा।

जलस्रोत को दूषित करने को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में

प्रस्तावित कानून के ड्राफ्ट में जलस्रोत को दूषित करने को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इस अपराध को करने वाले को व्यक्ति की गिरफ्तारी होगी और बिना कोर्ट से जमानत के उसकी रिहाई नहीं हो सकती है। इस मामले पर प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट स्तर का कोई भी न्यायाधिकारी इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर भी पानी को दूषित करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दे सकेगा यह एक अच्छा कदम है जिससे लोगों को पानी के प्रति जागरूप किया जा सकता है। जिससे ऐसे मामले कम सामने आएंगे। इससे काफी हद तक पानी को भी प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है।