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चंबल से पानी लाने के लिए राजधानी योजना बोर्ड ने 398 करोड़ के प्रोजेक्ट को दी सहमति

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Jul 17, 2018

पेयजल संकट का सामना कर रहे ग्वालियर के शहरवासियों के लिए की राहत की खबर हैं। चंबल से पानी लाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी योजना बोर्ड (एनसीआर प्लानिंग बोर्ड) ने 398 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट को सहमति दे दी है। जिसमें से 75 फीसदी राशि यानी लगभग 298 करोड़ रुपए एनसीआर प्लानिंग बोर्ड कर्ज देगा। शेष 100 करोड़ रुपए प्रदेश सरकार देगी। जिस पर इसी महीने में टेंडर हो सकते है, वहीं विपक्ष का आरोप है कि ये काम इतना आसान नही है, जितना निगम समझ रही है।

शहर में पेयजल संकट और मानसून की बेरूखी ने लोगों की नींद उड़ा दी है। अब तक 158 मिलीमीटर बारिश होना थी जिसमें से केवल 100 मिमी ही हुई है। पिछले साल शहर में तो औसत बारिश हुई लेकिन शहर की प्यास बुझाने वाले तिघरा के कैचमेंट एरिया में कम वर्षा से पेयजल संकट गहरा गया। तीन दिन पहले तिघरा के कैचमेंट एरिया में बारिश हुई जिससे बांध में 60 एमसीएफटी पानी आ गया। शहर को बांध से हर रोज औसत 9 एमसीएफटी पानी सप्लाई किया जा रहा है। यानी कि 7 दिन का पानी आ चुका है। इसी बीच एक खबर दिल्ली से आयी है.. जिसमें चंबल नदी से पानी लाने के प्रोजेक्ट पर मंजूरी मिल गयी है।

विनोद शर्मा, कमिश्नर नगर निगम ग्वालियर एनसीआर बोर्ड चंबल से पानी लाने के लिए लोन देने की सहमति दे दी है। हम जल्द ही विभिन्ना विभागों की एनओसी लेने के बाद उन्हें बोर्ड को उपलब्ध करा देंगे। इसके बाद लोन मिल जाएगा। लेकिन इस दौरान हम टेंडर प्रक्रिया शुरू कर देंगे। प्रोजेक्ट मंजूर होना शहरवासियों के लिए बड़ी राहत की खबर है।

चंबल से पानी लाने के लिए फाइलें तो दो साल से चल रही थीं लेकिन फुर्ती इसी साल अप्रैल से देखने को मिली। अल्पवर्षा और गहराते पेयजल संकट की बात रखते हुए निगम अधिकारियों ने चंबल से पानी लाने पर जोर दिया। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री माया सिंह व केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने इस प्रोजेक्ट को जल्द तैयार करने को कहा तो निगम ने एक माह में ही आनन-फानन में मेहता एंड मेहता कंपनी के अधिकारियों के साथ मिलकर सर्वे किया और एक माह में ही डीपीआर तैयार हो गई। निगम से राज्य सरकार और वहां से एनसीआर बोर्ड तक मात्र तीन माह में ही इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल गई।

कृष्णराव दीक्षित, नेता प्रतिपक्ष नगर निगम के मुताबिक नगर निगम परिषद बनी है, उसके तहत नीतिगत निर्णयों को परिषद की बैठक में लाना चाहिए। लेकिन डीपीआर बनाने वाली कंपनी को फायदा पहुंचने के लिए उसे नही लाया है अगर इस मुद्दे को लाते तो, सवाल खड़े होते, इसलिए नही लाएं है। जबकि डीपीआर भी गूगल से बैठकर बनाई गयी है।


· दिल्ली में केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक हुई है।

· चंबल नदी से ग्वालियर के तिघरा बांध तक पानी लाना है।

· यह दूरी 65 किलोमीटर है। चंबल नदी से पानी लिफ्ट किया जाएगा। इसके लिए पंपिंग स्टेशन लगाना होगा।

·नगर निगम ने इसके लिए 398 करोड़ रुपए की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट(डीपीआर) बनवाई है।

· यह राशि कर्ज के रूप में मिलना है और ब्याज सहित कर्ज चुकाने की गारंटी राज्य सरकार दे रही है।

· इस महीने टेंडर हो जाएंगें। साथ ही 3 साल में काम पूरा करना है।

इस प्रोजेक्ट के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, वाइल्ड लाइफ, वाटर रिसोर्स डवलपमेंट, रेलवे, बिजली कंपनी तथा राजस्व विभाग से एनओसी लेना होगी। इन विभागों की क्लीयरेंस के बाद ही कर्ज मिल सकेगा। डीपीआर के मुताबिक यदि सभी प्रक्रियाएं समय पर होती रहीं तो भी चंबल से तिघरा तक पानी लाने में दो साल लगेंगे। यह समय प्रोजेक्ट में ही शामिल हैं। साथ ही फर्म मेहता एंड मेहता कंपनी ने डीपीआर बनाई है। इसके लिए इसी साल अप्रैल में सर्वे किया गया। चंबल से 150 एमएलडी पानी लाया जाएगा। इसके लिए चंबल नदी में इंटेक वेल, पावर हाउस, पंपिंग मशीनरी के साथ तिघरा तक 1400 मिलीमीटर व्यास की पाइप लाइन बिछाई जाएगी।