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सूर्य की उपासना का पर्व है छठ, डूबते हुए सूरज को महिला-पुरुष ने दिया अर्घ्य

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Nov 14, 2018

भूपेंद्र सेन : छठ पर्व के तीसरे दिवस महिलाओं ने अस्त होते सूर्य की पूजा कर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद माँगा मंगलवार शाम को अस्त होते सूर्य की आराधना करने के लिए महिला-पुरुष नावघाट खेडी स्थित नर्मदा नदी पहुंचे। बुधवार सुबह उगते सूरज की आराधना के साथ पर्व का समापन हुआ|इस व्रत में षष्ठी देवी की मिटटी की प्रतिमा बनाकर उनका आव्हान किया जाता है|षष्ठी देवी को समस्त लोकों के बालकों की रक्षा करने वाली देवी भी माना जाता है। इस व्रत के पालन से शक्ति और ब्रम्ह दोनों की आराधना का फल मिलता है। षष्ठी तिथि का संबंध भी संतान की आयु से होता है।

इस अवसर पर नर्मदा तट पर बड़ी संख्या में महिला पुरुष उपस्थित थे। सभी ने सामूहिक रूप से एकत्र होकर सूर्यदेवता को अर्ध्य देकर पूजा की। मंगलवार को शाम को व्रतधारी महिलाए पुरुष एवं महिलाए तट पर पहुंचने लगे थे पुरुष सिर पर रखी टोकरी में फल,मुली,गन्ना एवं ठकुआ(आटे एवं शकर से बना व्यंजन) इत्यादि रखकर चल रहे थे। वही महिलाएं हाथो में आरती की थाल लिए आगे बढ़ रही थी जैसे ही सूर्यदेव अस्त होने के करीब पहुंचे।

महिलाएं थाली एवं कलश लेकर नर्मदा के जल में खड़ी होकर पूजा करने लग गई, इस दौरान महिलाओं ने सूर्यदेव को जल भी चढ़ाया। जब तक सूर्यदेव पूरी तरह से अस्त नही हुए महिलाए पानी में ही खड़ी रही। इसके बाद महिलाओं ने घाट पर नर्मदा जी का पूजन कर दीपदान भी किया। व्रतधारी महिला श्रीमती साधना अतुल तिवारी एवं मिंटू अवधबिहारी राय ने बताया की तीसरे दिन महीलाओ ने पुरे दिन निर्जल उपवास किया था रात्रि के समय महिलाओं ने अपने घर में छठी माता के भजन भी गाए।