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सूदखोरी से मुक्ति पाने के लिये ग्रामीणों ने स्थापित किया खुद का बैंक, अब आसान किश्तों में चुकाते हैं ऋण

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Jun 25, 2019

शिवराम बर्मन : डिंडोरी जिले के दुल्लोपुर गांव में सूदखोरी से मुक्ति पाने के लिये ग्रामीणों ने खुद का अपना बैंक स्थापित कर लिया है। जहां ग्रामीणों को एक प्रतिशत सालाना ब्याज दर पर ऋण मुहैया कराया जाता है। आसान किश्तों में ऋण चुकाने में ग्रामीणों को भी सहूलियत होती है। पेश है एक रिपोर्ट.......

डिंडौरी जिला मुख्यालय से महज पंद्रह किलो मीटर दूर बिझौरा ग्राम पंचायत के पोषक ग्राम दुल्लोपुर में ग्रामीणों द्वारा संचालित है। जनशक्ति साख मर्यादित बैंक वर्ष 2008 से इस बैंक की शुरुआत हुई थी। उस समय गांव के कुछ ग्रामीणों द्वारा इस बैंक की शुरुआत की गई थी। शुरुआती दौर में गांव के लोग दस बीस रुपये जमा करते थे। इसके बाद पचास और सौ रूपये जमा करने लगे धीरे धीरे कारवां बढ़ गया और इस बैंक के सदस्यों का दायरा बारह गांव तक बढ़ गया।

अब इस बैंक के सदस्यों की संख्या लगभग एक हजार के करीब पहुंच गयी है।बैंक में लगभग बीस लाख रुपये जमा हो चुके है और बैंक के द्वारा बत्तीस ग्रामीण ग्राहकों को कर्ज भी दिया गया है और ग्राहक बकायदा किश्त भी चुका रहे है। इस बैंक की शुरुआत के बारे में समिति के सदस्यों का कहना है कि खेती व अन्य सामाजिक कार्यक्रम के लिये ग्रामीणों के पास पैसा नही होता था या फिर कम पड़ जाता था और ऐसी स्थिति में व्यापारी व सूदखोरों की ऊंची ब्याज दर में पड़ कर ग्रामीणों को कर्ज लेना पड़ता था। अनेकों बार जेवर, जमीन भी गिरवी रखना पड़ता था लेकिन ऊंची ब्याज दर के चलते मूलधन से कहीं ज्यादा ब्याज का पैसा हो जाता था और कर्ज चुका पाना भी मुश्किल हो जाता था। ऐसी स्थिति में जेवर व गिरवी रखी हुई जमीन सूदखोर या व्यापारी हड़प लेता था। कभी कभी तो ऐसी स्थिति में ग्रामीण किसानों को आत्महत्या जैसे कदम उठाने की स्थिति बन जाती थी। इस समस्या का समाधान खोजने के लिये ग्रामीण आदिवासी सामाजिक बैठकों में चर्चा होने लगी और फिर दुल्लोपुर के ग्रामीणों ने खुद का बैंक खोलने की ठान ली और बैंक के नियम भी खुद ग्रामीणों ने बनाये है ताकि किसान या गरीब ग्रामीणों को खेती व अन्य सामाजिक कार्यक्रमो के लिये कर्ज दिया जा सके।