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सागरः बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं व सड़क सुरक्षा पर आयोजित कार्यशाला में बोले UN एक्सपर्ट डॉ रोहित बलूजा

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Sep 27, 2019

मुकुल शुक्ला - देश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाएं लगातार चिंता का विषय बनती जा रही हैं। ऐसे में नियमों की सख्ती से लेकर सड़कों की सुरक्षा तक पर सवाल उठ रहे हैं। इसके कारणों और बचाव को लेकर डॉ हरीसिंग गौर विवि, भारत सरकार के रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे मंत्रालय, डाइजियो फाउंडेशन ऑफ इंडिया तथा आईआरटीआई कॉलेज ऑफ ट्रैफिक मैनेजमेंट के संयुक्त तत्वावधान में सुरक्षित ड्राइविंग एवं सड़क सुरक्षा विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में यूनाइटेड नेशन में ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के एक्सपर्ट रहे और आईआरटीई के डायरेक्टर डॉ. रोहित बलूजा ने पावर प्रजेंटेशन के जरिये बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं  के कारणों और उनसे निपटने के उपायों पर चर्चा की।

ट्रैफिक नियमों की जानकारी का अभाव व सड़क सुरक्षा में नियमों की अनदेखी

डॉ बलूजा ने कहा की पूरी दुनिया में भारत में सर्वाधिक 13 लाख मौत सड़क दुर्घटनाओं में हर साल हो रही है। यह आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। इसमें युवा पीढ़ी और नाबालिग बच्चों की संख्या अधिक है। एमपी का स्थान छठवां है। उन्होंने कहा कि भारत में आसानी से बिना वाहन चलाने सीखे और नियमों को जाने बगैर ड्राईविंग लायसेंस मिल/बन जाते हैं। यह भयावह तस्वीर है। ट्रैफिक के नियमों के मुताबिक न तो लोग वाहन चला रहे हैं और न ही वाहन का रखरखाव कर रहे हैं। मनमाने तरीके से ओवरटेकिंग ने सड़क दुर्घटनाएं में इजाफा किया है। बाइक पर तीन तीन सवारी बैठाकर चलाना, मोबाइल फोन से बात करना सामान्य बात है। यही हरकते मौत को आमंत्रण दे रही हैं। इनकी बड़ी वजह ट्रैफिक नियमों की जानकारी नहीं होना, सड़क की इंजीनियिरिंग में अनदेखी है।

जागरूकता की कमी, प्रशासनिक तालमेल नहीं

उन्होंने कहा कि सुरक्षित कैसे वाहन चलाये इसके प्रति लोगो में जबरदस्त उदासीनता है। क्वालिटी वाले हेलमेट नहीं पहनेंगे। फैशन की तरह इनका इस्तेमाल करेंगे। सीट बेल्ट की अनिर्वायता नहीं है। लोग ट्रैफिक के संकेतकों को नहीं जानते। जबकि पूरी दुनिया में भाषायी अंतर है। इसलिए संकेतकों की भाषा बनाई गई है। जिसे लोग जानते तक नहीं है। उन्होंने चिंता जताई कि देशभर में संकेतकों को सरकार लगवा भी नहीं पाई और न ही सड़कों की गुणवत्ता पर ध्यान दिया, जो सड़क हादसों के लिए जिम्मेदार भी हैं। दूसरी तरफ ट्रांसपोर्ट, पुलिस महकमा और अन्य सम्बंधित विभागों में तालमेल नहीं है। सभी सड़क हादसों की जिम्मेदारी लेने से बचते हैं। ये विभाग में नियमों से वाकिफ नहीं है और इनका उल्लंघन करने से नहीं चूकते है। देश में नए नियम लागू होने के बाद सरकारी महकमें से जुड़े लोगों के ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के वीडियो जमकर वायरल हो रहे हैं।

पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी, निजी वाहन की अधिकता

डॉ बलूजा ने कहा कि दुनिया में भारत ऐसा देश है जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट को आगे नहीं बढाया गया। भारत में 25 करोड़ गाड़िया हैं। जिसमें 74 फीसदी दुपहिया वाहन और 13 फीसदी कार हैं। बस का प्रतिशत 0.8 फीसदी है। वहीं दुनिया में उल्टा है, पब्लिक ट्रांसपोर्ट ज्यादा है, निजी वाहन कम। यदि पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ाया जाए तो कुछ हद तक घटनाओं पर अंकुश भी लगेगा। वहीं इस जागरूक कार्यशाला को युवा वर्ग और विद्यार्थियों ने जमकर सराहा कार्यक्रम में बड़ी संख्या में युवा ट्रैफिक पुलिस तथा पुलिस के अधिकारी भी शामिल हुए।