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ग्वालियर में प्रशासन के लिए मुसीबत बन रहा क्रेशर, बीजेपी विधायक ने कलेक्टर को लिखी चिट्ठी

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Dec 14, 2019

विनोद शर्मा : मध्यप्रदेश के ग्वालियर में अब प्रशासन के लिए नई मुसीबत क्रेशर बन गए हैं। कलेक्टर अनुराग चौधरी ने कैबिनेट मंत्री इमरती देवी की अनुशंसा पर बिलौआ के वैध और अवैध क्रेशरों को बंद करने के आदेश जारी कर दिए थे। जिसके बाद अब बीजेपी के विधायक भी अपने क्षेत्र में काली गिट्टी के क्रेशरों को बंद कराना चाहते हैं। जिसको लेकर उन्होंने कलेक्टर को चिट्ठी लिखी है। इसके साथ ही कह रहे है कि वह उनके इलाके में संचालित क्रेशरों को बंद करवाये नहीं तो, वह इस मामले को विधानसभा में भी उठाएंगे।

क्रेशरों को बंद करने का मुद्दा बना सियासी
ग्वालियर जिले के बिलौआ जिले में क्रेशरों को बंद करने का मुद्दा अब सियासी हो चला है। जहां मंत्री इमरती देवी कह रही है की डबरा क्षेत्र के 20 गांवों के लोगों उनसे मिले थे। लोगों बीमारी से ग्रस्ति हो रहे थे। तब उन्होनें क्रेशरों को बंद करने के लिए कलेक्टर को चिट्ठी लिखी थी लेकिन ये सारे क्रेशर बीजेपी के राज्य में संचालित हो रहे थे। जिन्हें वह चलने नही देंगी। क्योंकि ये क्रेशर लोगों की जान से खेल रहे है।बिलौआ में क्रेशर बंद होने के बाद अब जिले के बाकी इलाकों में भी काली गिट्टी के क्रेशरों को बंद करने की मांग उठने लगी है। ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा से विधायक भारत सिंह कुशवाह ने भी ग्वालियर कलेक्टर को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने कहा है कि उनके इलाके में 100 से ज्यादा क्रेशर संचालित हो रहे हैं। उनसे भी इलाके के लोग दुखी हैं क्योंकि ज्यादातर क्रेशर अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। विधायक ने उन्हें तत्काल बंद कराने की मांग की है।  

 200 से ज्यादा क्रेशर संचालित 
ग्वालियर जिले में काली गिट्टी के क्रेशरों की बात करें तो लगभग 200 से ज्यादा क्रेशर संचालित है, जिनमें अवैध रूप से 500 से ज्यादा क्रेशर संचालित होते हैं। जिसमें से सरकार को सिर्फ 20 फीसदी ही रॉयल्टी मिलती है। लेकिन वैध क्रेशर की आड़ में अवैध क्रेशरों रोका कारोबार जोरों से चल रहा है। एक अनुमान के मुताबिक ग्वालियर जिले से लगभग 300 से 400 डंपर काली गिट्टी के उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भेजे जाते हैं। लेकिन अब जब प्रशासन ने बिलौआ के क्रेशरों को बंद कर दिया है, तो बाकी क्रेशरों को भी बंद करने की मांग उठने लगी है ।ऐसे में देखना होगा कि कलेक्टर इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं।