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प्रशासनिक ओआईसी की निग्लेंसी, अरबों रूपए की सरकारी जमीनें हुई निजी

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Mar 27, 2018

मध्य प्रदेश में तेजी से सरकारी जमीनों पर कब्जें बढ़ रहे है मामले कोर्ट में भी पहुंच रहे है, लेकिन शासन के ढ़ीले रवैये से फैसले उनके खिलाफ आ रहे है। ऐसे ही कुछ मामले ग्वालियर जिले से भी सामने आए है, जहां प्रशासनिक ओआईसी की निग्लेंसी की वजह से अरबों रूपए की सरकारी जमीनें निजी हो गयी है। यहां तक की एसपी ऑफिस तक भी। वहीं अभी भी कुछ विभाग के अधिकारी पुराने हारे हुए मामलों पर पुन: उसे शासन के पक्ष में फैसला कराने की बात कर रहे है।

बता दें ग्वालियर शहर में बेशकीमती जमीनें हारकर भी शासन ने सबक नहीं लिया है। समय पर जवाब व दावा पेश नहीं किए जाने के चलते जिला सत्र न्यायालय से एक पक्षीय डिक्री होने से शासकीय जमीनें निजी हो गई हैं। जिसके चलते सरकारी वकीलों ने कलेक्टर को चिट्टी लिखी है। जिसमें साफ लफ्जों में लिखा है कि अफसरों की लापरवाही से जवाब नहीं आने से अपील खारिज हो सकती हैं और एक पक्षीय डिक्री होने की संभावना है। अगर फैसला एक पक्षीय होता है तो वकीलों को दोष नहीं दिया जा सकता। 

ग्वालियर जिला न्यायालय में जमीन की करीब 200 अपील व दावे चल रहे हैं, लेकिन केस के प्रभारी अधिकारी जवाब देने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं। क्योंकि कई मामले ऐसे भी है, जिनमें पहले भूमि का रिकार्ड ऑनलाइन नहीं था और खसरे में पेन से जानकारी भरी जाती थी। जिस जगह कैफियत का उल्लेख होता था, वहां अपना नाम चढ़ाकर सरकारी जमीनों पर माफिया ने दावा किया। दावे की सुनवाई के बाद कोर्ट ने शासन को नोटिस जारी किया। नोटिस मिलने के बाद वकील ने वकालत नामा पेश कर दिया, लेकिन दावे के विरोध में जवाब नहीं दिया गया।