Apr 8, 2025
एम्स भोपाल में परजीवी जुड़वां को सफलतापूर्वक हटाया गया, तीन वर्षीय बच्ची को मिला नया जीवनभोपाल, 8 अप्रैल 2025 –भोपाल के एम्स के डॉक्टर्स ने एक दुर्लभ सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देकर चिकित्सा जगत में एक और मील का पत्थर स्थापित किया है। यह मामला मध्यप्रदेश के अशोकनगर की तीन वर्षीय बच्ची का है, जिसकी खोपड़ी से एक अधविकसित जुड़वां भ्रूण (परजीवी जुड़वां) जुड़ा हुआ था।यह स्थिति ‘परजीवी जुड़वां’ कहलाती है, जिसमें एक भ्रूण का विकास पूर्ण रूप से नहीं हो पाता और वह जीवित भ्रूण से चिपका रहता है। बच्ची के सिर और रीढ़ की हड्डी से एक अधूरे शरीर का पैर और श्रोणि हड्डियां जुड़ी हुई थीं, जो मस्तिष्क के अत्यंत संवेदनशील भाग ब्रेन स्टेम से सटी हुई थीं।एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में न्यूरोसर्जरी विभाग की टीम ने इस जटिल ऑपरेशन को 3 अप्रैल 2025 को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। सर्जरी का नेतृत्व डॉ. सुमित राज ने किया, जिसमें डॉ. जितेन्द्र शाक्य और डॉ. अभिषेक ने सहायक की भूमिका निभाई। एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉ. सुनेना और डॉ. रिया ने किया, जबकि डॉ. रुचि ने इन्ट्रा-ऑपरेटिव न्यूरोमॉनिटरिंग की जिससे तंत्रिका तंत्र की क्रियाशीलता पर नजर रखी जा सकी।इससे पहले, एम.आर.आई. और सी.टी. स्कैन में यह पुष्टि हुई कि बच्ची की खोपड़ी से एक अधूरा भ्रूण जुड़ा हुआ था। सर्जरी से पूर्व विभिन्न विभागों – रेडियोलॉजी, बाल शल्य चिकित्सा और प्लास्टिक सर्जरी – के विशेषज्ञों ने बैठक में निर्णय लिया कि बच्ची की सामान्य जीवनशैली के लिए शीघ्र ऑपरेशन आवश्यक है।इस अभूतपूर्व उपलब्धि पर एम्स भोपाल के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने कहा, "एम्स भोपाल, मध्य भारत में विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इस प्रकार की जटिल सर्जरी की सफलता हमारे चिकित्सकों की विशेषज्ञता, विभागों के बीच तालमेल और संस्थान की अत्याधुनिक सुविधाओं का प्रमाण है।"