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जवानों के साथ-साथ उन्हें किसानों की भी थी चिंता, ऐसे थे लाल बहादुर शास्त्री

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Oct 2, 2019

आज़ाद भारत के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद पूरे देशवासियों के मन में एक ही सवाल था कि अब अगला पीएम कौन होगा? नेहरू जी के देहांत के दो हफ्ते के बाद लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे पीएम बने। 2 अक्टूबर 2019 को जन्मे लाल बहादुर शास्त्री सादगी भरी जीवन व्यतीत करने वाले, एक कुशल नेतृत्व वाले गांधीवादी नेता थे। एक गरीब परिवार से निकलकर और सबसे बड़े लोकतंत्र का कुशल नेतृत्व कर शास्त्री जी ने विश्व को इतना तो बता दिया कि यदि इंसान के भीतर आत्मविश्वास हो तो वो कोई भी मंजिल हासिल कर सकता है। लेकिन क्या आपको पता है कि लाल बहादुर शास्त्री जी अपने प्रधानमंत्री रहते हुए पूरे देश से सप्ताह में एक दिन व्रत रखने की अपील की थी।

देश के संकट काल में लाल बहादुर शास्त्री ने अपना वेतन लेना बंद कर दिया

अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान लालबहादुर शास्त्री ने देश को कई संकटों से बाहर निकाला। सन 1965 में भारत-पाक के बीच युद्ध छिड़ गया था। उस वक़्त देश की कमान लाल बहादुर शास्त्री के हाथों में थी। युद्ध के दौरान देश में अन्न की किल्लत हो गई। देश भुखमरी की गंभीर समस्या से गुजरने लगा था। उस संकट के काल में लाल बहादुर शास्त्री ने अपना वेतन लेना बंद कर दिया। उन्होंने अपने घर पर काम करने वाली बाई को भी काम पर आने से इंकार कर दिया और घर का पूरा काम स्वयं करने लगे। देश खाद्यान्न के संकट से जूझ रहा था। अमेरिका ने भी भारत के लिए खाद्यान्न के एक्सपोर्ट रोकने की धमकी दे दी थी। इसके बाद शास्त्री जी ने देश के लोगों से आग्रह किया कि वो सप्ताह में एक दिन एक समय व्रत रखें। यही नहीं उन्होंने देशवासियों के सामने उदहारण पेश करते हुए कहा कि उनके परिवार में, "कल से एक सप्ताह तक शाम को चूल्हा नहीं जलेगा।" उनके इस ऐलान का ऐसा असर हुआ कि उसके बाद कुछ दिनों तक ज्यादातर रेस्तरां और होटलों तक में भी इसका पालन किया गया।