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1993 मुंबई बम ब्लास्ट के 5 दोषियों को मिली ये सजा

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Sep 7, 2017

नई दिल्ली : मुंबई की विशेष टाडा कोर्ट ने 1993 मुंबई बम ब्लास्ट के दोषियों को सजा सुना दिया है। ताहिर मर्चेंट और फिरोज अब्दुल राशिद को फांसी की सजा सुनाई गई है। वहीं अबु सलेम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। हथियार सप्लाई के आरोपी करीमुल्लाह खान को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा के साथ 2 लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया है। वहीं एक अन्य आरोपी रियाज सिद्दीकी को 10 साल की सजा सुनाई गई है। पूरी सुनवाई के दौरान अबू सलेम सहित सभी दोषी अदालत में मौजूद रहे।

मुंबई में हुए 12 बम धमाकों में 257 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 700 से ज़्यादा ज़ख़्मी हो गए थे। इस मामले में लंबी गहन पड़ताल के बाद 100 आरोपी पहले ही दोषी क़रार दिए जा चुके हैं जिनमें से 12 को फांसी की सज़ा हो चुकी है। 2012 से चल रहे केस में अब तक 64 नए गवाह पेश हो चुके हैं। कुल 686 गवाह पेश हो चुके हैं। अबू सलेम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है और 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। सलेम पर आरोप था कि वह हथियारों का ज़ख़ीरा लाने भरूच गया और उसके बाद उसने हथियार लाकर संजय दत्त को दिए जबकि बाकी के हथियार छुपा दिए थे। इसी से पूछताछ में रियाज सिद्दीक़ी, करीम शेख की जानकारी मिली।

ताहिर मर्चेंट को फांसी की सजा सुनाई गई है। इसे जून 2010 में गिरफ्तार किया गया था। दुबई के दफ्तर में साजिश की मीटिंग हुई थी और इसने आरोपियों के दुबई में रहने का इंतजाम किया था। इसने ट्रेनिंग के लिए लोगों को पाकिस्तान भेजा। फ़िरोज़ अब्दुल रशीद ख़ान को फांसी की सजा सुनाई गई है। साजिश की धारा 120 बी, टाडा और हत्या के तहत दोषी पाया गया। इसकी फरवरी में 2010 में गिरफ्तारी हुई थी। दाऊद के घर साजिश की बैठक में हुआ था यह। विदेश से आए हथियार भारत में उतरवाए थे। धमाकों के बाद इसने हथियार और विस्फोटक नष्ट करवाए थे।

करीमुल्लाह खान को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है और 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। उसे अगस्त 2008 में गिरफ्तार किया गया था। वह साजिश की बैठख में शामिल था और उसने एक आरोपी को पाकिस्तान ट्रेनिंग के लिए भेजा। इसने हथियार को भारत लाने में मदद की थी। रियाज सिद्दिकी को 10 साल की सजा हुई है। उसे जनवरी 2006 में गिरफ्तार किया गया था। भरूच में अबू सलेम की गाड़ी की मदद की थी इसने। मुंबई तक हथियार लाने के लिए सलेम को पैसे दिए थे। इस मामले में कुल 7 आरोपी थे, जिनमें से एक अब्दुल कयूम को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था और छह को दोषी पाया था। छह दोषियों में एक मुस्तफा डोसा की मौत हो चुकी है।