Jul 13, 2024
जम्मू-कश्मीर को लेकर मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की शक्तियां बढ़ा दी हैं. जम्मू-कश्मीर में कुछ समय बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुच्छेद 55 में संशोधन किया है. इसके बाद अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार उपराज्यपाल के पास होगा.
संशोधन से पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित मामलों में उपराज्यपाल की शक्तियां बढ़ जाएंगी. उनका कार्य क्षेत्र भी बढ़ेगा. उन्हें लगभग सभी क्षेत्रों में वे सभी अधिकार मिलेंगे, जिनके लिए वित्त विभाग की पूर्वानुमति की आवश्यकता होती है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी है. जिसमें एलजी को ज्यादा ताकत देने वाले नियम जोड़े गए हैं.
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन के बाद उपराज्यपाल को वित्त विभाग की सहमति के बिना पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था, अखिल भारतीय सेवा और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से संबंधित प्रस्तावों पर निर्णय लेने का अधिकार होगा.
अधिनियम में नए खंड जोड़े गए
42ए- कानून, न्याय और संसदीय मामलों के विभाग में महाधिवक्ता और अन्य अधिकारियों की नियुक्ति के प्रस्ताव मुख्य सचिव और सीएम द्वारा उपराज्यपाल के समक्ष रखे जाएंगे. 42बी- कार्यवाही की अनुमति देने या अस्वीकार करने या अपील दायर करने से संबंधित कोई भी प्रस्ताव मुख्य सचिव के माध्यम से कानून विभाग द्वारा उपराज्यपाल के समक्ष रखा जाएगा.
उमर अब्दुल्ला ने फैसले पर सवाल उठाए
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने मोदी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाया है. जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल को अधिक शक्तियां देने पर उन्होंने कहा कि अब छोटी से छोटी नियुक्ति के लिए भीख मांगने की जरूरत नहीं है. जम्मू-कश्मीर को रबर स्टांप मुख्यमंत्री की जरूरत नहीं है. जम्मू-कश्मीर के लोग सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री के हकदार हैं.