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पीएम मोदी ने 114वीं बार की 'मन की बात', जानें कार्यक्रम के 10 साल पूरे होने पर क्या बोले

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Sep 29, 2024

PM Modi Mann Ki Baat :  पीएम मोदी मन की बात: प्रधानमंत्री मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम का आज 114वां एपिसोड था. प्रधानमंत्री मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में कहा कि इस कार्यक्रम के श्रोता ही इसके असली सूत्रधार हैं. आम तौर पर यह माना जाता है कि जब तक यह व्यंग्यात्मक और नकारात्मक न हो, किसी को कोई परवाह नहीं होती. लेकिन मन की बात ने साबित कर दिया कि लोगों को सकारात्मक बातें भी पसंद हैं. मन गकी बात मेरे लिए भगवान के मंदिर के दर्शन के समान है. मैं उन लोगों का आभार व्यक्त करना चाहता हूं जिन्होंने 'मन की बात' को घर-घर तक पहुंचाया. 

'मन की बात' के 10 साल पूरे होने जा रहे हैं: मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी 'मन की बात' यात्रा को 10 साल पूरे हो रहे हैं. मन की बात की शुरुआत 10 साल पहले 3 अक्टूबर को विजयादशमी के दिन हुई थी और कैसा पवित्र संयोग है कि इस साल 3 अक्टूबर को जब 'मन की बात' के 10 साल पूरे होंगे, तो वो नवरात्रि का पहला दिन होगा. जब से मैंने 'मन की बात' के पत्र पढ़े हैं, मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया है. 

कार्यक्रम को देश की 22 भाषाओं और 12 विदेशी भाषाओं में सुना जा सकता है: मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम को देश की 22 भाषाओं के साथ 12 विदेशी भाषाओं में भी सुना जा सकेगा. मुझे अच्छा लगता है जब लोग कहते हैं कि उन्होंने 'मन की बात' कार्यक्रम अपनी स्थानीय भाषा में सुना. कार्यक्रम पर आधारित एक क्विज प्रतियोगिता भी चल रही है, जिसमें कई लोग भाग ले सकते हैं. आप https://Mygov.in पर जाकर इस प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं और पुरस्कार जीत सकते हैं. 

जल संरक्षण की जरूरत: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब देश के अलग-अलग हिस्सों में भारी बारिश हो रही है. तो यह वर्षा ऋतु हमें याद दिलाती है कि 'जल-संरक्षण' कितना महत्वपूर्ण है. बरसात के दिनों में संग्रहीत पानी महीनों के जल संकट में बहुत मदद करता है, जो कैच द रेन जैसे अभियानों की भावना है. 

इसके अलावा प्रधानमंत्री ने कहा कि कभी-कभी नारी-शक्ति जल-शक्ति को बढ़ाती है, तो कभी-कभी जल-शक्ति भी नारी-शक्ति को मजबूत करती है. मुझे मध्य प्रदेश के दो प्रेरक प्रयास देखने को मिले हैं. यहां डिंडोरी के रायपुरा गांव में एक बड़ी झील के निर्माण से जमीन का स्तर काफी ऊपर उठ गया है.

स्वच्छता अभियान की बात हो रही है

स्वच्छता पर बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पांडिचेरी के समुद्र तट पर स्वच्छता को लेकर एक बड़ा अभियान चलाया जा रहा है. 2 अक्टूबर को 'स्वच्छ भारत मिशन' के 10 साल पूरे होने जा रहे हैं. मैं इस अवसर पर उन सभी को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने इसे भारतीय इतिहास में इतना बड़ा जन आंदोलन बनाया. यह महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि है, जो जीवन भर इस उद्देश्य के लिए समर्पित रहे. आज यह 'स्वच्छ भारत मिशन' की सफलता है कि 'वेस्ट टू वेल्थ' का मंत्र लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहा है. दोबारा इस्तेमाल करें और रीसायकल करें' के बारे में बात करने लगे हैं और उदाहरण देने लगे हैं. हम अधिक से अधिक लोगों को स्वच्छता अभियान से जोड़ना चाहते हैं और यह अभियान एक दिन, एक साल के लिए नहीं है. यह युगों-युगों तक निरंतर किये जाने वाला कार्य है. जब तक यह स्वच्छता हमारा स्वभाव नहीं बन जाती, तब तक काम करना है. 

संस्कृति की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें अपनी विरासत पर बहुत गर्व है. मैं हमेशा कहता हूं 'विकास भी लेकिन विरासत भी'. यही कारण है कि मुझे हाल की अमेरिका यात्रा के एक विशेष पहलू के बारे में बहुत सारे संदेश मिल रहे हैं. एक बार फिर हमारी प्राचीन कलाकृतियों की वापसी को लेकर काफी चर्चा हो रही है. इनमें से कई कलाकृतियों की तस्करी की गई और उन्हें अवैध रूप से देश से बाहर ले जाया गया. यह एक गंभीर अपराध है, एक तरह से यह हमारी विरासत को नष्ट करने जैसा है.'

भाषा के बारे में बात करें

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे देश में लगभग 20 हजार भाषाएं और बोलियां हैं और ये सभी किसी न किसी की मातृभाषा हैं. ऐसी कई भाषाएँ हैं, जिनका उपयोगकर्ता आधार बहुत छोटा है, लेकिन भाषाओं को संरक्षित करने के लिए असाधारण प्रयास किए जा रहे हैं. ओडिशा के मयूरजंज में रहने वाले रामजीत टूडू संथाली भाषा को ऑनलाइन पहचान दिलाने के लिए एक विशेष अभियान चला रहे हैं. रामजीत ने एक डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया है जहां संथाली भाषा संबंधित साहित्य पढ़ा और लिखा जा सकता है. 

एक वृक्ष माता के नाम अभियान की बात कही

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक वृक्ष माता के नाम अभियान अद्भुत अभियान है. जनभागीदारी का ऐसा उदाहरण सचमुच प्रेरणादायक है. पर्यावरण संरक्षण के लिए शुरू की गई इस मुहिम में दुनिया भर के लोगों ने बेहतरीन काम किया है. हमारे देश में वृक्षारोपण अभियान से जुड़े कई उदाहरण सामने आते हैं. ऐसा ही एक उदाहरण है तेलंगाना का के. एन  राजशेखर का. पेड़ लगाने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता आश्चर्यजनक है. सुबाश्री तमिलनाडु के मदुरै की एक महिला हैं, जिन्होंने अपने प्रयासों से दुर्लभ और बेहद उपयोगी जड़ी-बूटियों का एक अद्भुत बगीचा तैयार किया है. 

Report By:
Devashish Upadhyay.