Oct 10, 2018
नवरात्र का प्रारंभ आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना के साथ होता है कलश को हिन्दु विधानों में मंगलमूर्ति गणेश का स्वरूप माना जाता है अतः सबसे पहले कलश की स्थापना की जाती है। नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम रूप श्री शैलपुत्री का पूजन किया जाता है पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण ये शैलपुत्री कहलाती हैं।
मां शैलपुत्री दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प लिए अपने वाहन वृषभ पर विराजमान होती हैं नवरात्र के इस प्रथम दिन की उपासना में साधक अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करते हैं, शैलपुत्री का पूजन करने से ‘मूलाधार चक्र’ जागृत होता है और यहीं से योग साधना आरंभ होती है जिससे अनेक प्रकार की शक्तियां प्राप्त होती हैं। इनकी आराधना से प्राणी सभी मनोवांछित फल प्राप्त कर लेता है।
पूजा करते समय इस मंत्र का करें उच्चारण
वन्दे वांछितलाभाय चन्दार्धकृतशेखराम।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्।।