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होली 2024: त्रेता युग में अयोध्या के राज्य वृक्ष 'कचनार' के फूलों से बने गुलाल से होली खेलेंगे रामलला

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Mar 24, 2024

Swaraj khass - देशभर में होली मनाई जा रही है, सनातन धर्म को मानने वाले लोग रंगों के इस त्योहार को धूमधाम से मना रहे हैं, वहीं धार्मिक नगरी अयोध्या में भी रंगभरी एकादशी के साथ होली का जश्न शुरू हो गया है. जिसमें रामलला कचनार के फूलों से बने गुलाल से होली खेलेंगे. बौहिनिया प्रजाति के कचनार के फूलों से भगवान राम के लिए हर्बल गुलाल बनाया जाता है. त्रेता युग में कचनार को अयोध्या का राज्य वृक्ष माना जाता था।

वैज्ञानिकों ने एक खास गुलाल तैयार किया है -

भारतीय विरासत को सम्मान देने के उद्देश्य से सीएसआईआर-एनबीआरआई के वैज्ञानिकों ने विशेष रूप से कचनार के फूलों से गुलाल तैयार किया है। साथ ही वैज्ञानिकों ने गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में चढ़ाए गए फूलों से हर्बल गुलाल भी तैयार किया है. बुधवार को संस्थान के निदेशक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दोनों विशेष गुलाल भेंट किये.

यह हर्बल गुलाल कचनार के फूलों से बनाया गया है -

त्रेता युग में कचनार को अयोध्या का राज्य वृक्ष माना जाता था और हमारी आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में इसका उपयोग एक सुस्थापित औषधि के रूप में किया जाता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल आदि गुण भी होते हैं। इसी तरह गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में चढ़ाए गए फूलों से हर्बल गुलाल तैयार किया जाता है. इस हर्बल गुलाल का परीक्षण किया जा चुका है। इस परीक्षण से पता चला है कि यह मानव त्वचा के लिए पूरी तरह से सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल है।

हर्बल गुलाल इस खास स्वाद का होता है -

यह हर्बल गुलाल विशेष रूप से लैवेंडर फ्लेवर में बनाया गया है। साथ ही गोरखनाथ मंदिर के लिए चंदन फ्लेवर में गुलाल बनाया गया है. इस हर्बल गुलाल में सीसा, क्रोमियम और निकल जैसे रसायन नहीं होते हैं। फूलों के प्राकृतिक रंगों में सामग्री मिलाकर बनाए गए इस गुलाल को त्वचा से आसानी से हटाया जा सकता है। साथ ही यह अन्य गुलाल की तरह त्वचा पर रंग भी नहीं छोड़ेगा।

Report By:
Author
Ankit tiwari