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'दोनों पक्ष 25-25 पेड़ लगाएं और...' राजस्थान हाई कोर्ट ने एक मंदिर मामले में दिया अनोखा आदेश!

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May 11, 2024

Rajasthan High Court: जयपुर के मंदिर में भगवान की मूर्तियों और तस्वीरों पर चंदन लगाने के मामले में राजस्थान हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को मामले के निपटारे तक मंदिर परिसर में 25-25 पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने का आदेश दिया है. जानिए क्या है पूरा मामला....

मंदिर में मूर्तियों और तस्वीरों पर चंदन लगाने का मामला 

राजस्थान उच्च न्यायालय ने शिव मंदिर में कृष्णानंदजी की मूर्तियों और तस्वीरों पर चंदन लगाने के एक मामले में दोनों पक्षों को मंदिर परिसर में 25-25 पेड़ लगाने और मामले के निपटारे तक उनकी देखभाल करने का आदेश दिया है। शहर में म्यूजियम रोड. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने निचली अदालत में लंबित मामले का निपटारा होने तक हर साल जुलाई के पहले हफ्ते में इन पेड़ों की तस्वीरें कोर्ट में पेश करने को भी कहा है.

भानु प्रकाश शर्मा व अन्य ने निचली अदालत के आदेश को हाई कोर्ट में दी चुनौती 

न्यायमूर्ति अनूप कुमार ढांड की एकलपीठ ने भानु प्रकाश शर्मा व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि 'पेड़ लगाने से पक्षकारों का भगवान और प्रकृति में विश्वास बढ़ेगा.' इसके अलावा हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि 'हमारी संस्कृति और विरासत की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है. इसके अलावा किसी को भी किसी मूर्ति या मूर्ति को नुकसान पहुंचाने का अधिकार नहीं है, लेकिन किसी को मंदिर में पूजा करने से रोकने का भी अधिकार नहीं है।'

किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाई जा सकती: हाईकोर्ट

इसके अलावा हाई कोर्ट ने आगे कहा कि 'प्रतिमा पर मिलावटी दूध, दही, कुमकुम या गुलाल चढ़ाने की इजाजत नहीं दी जा सकती. किसी को भी चंदन की लकड़ी के नीचे पेंटिंग करने की इजाजत नहीं दी जा सकती. साथ ही किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाई जा सकती.' याचिका में कहा गया है कि 'वे (याचिकाकर्ता) म्यूजियम रोड स्थित शिव मंदिर में लगभग तीन दशकों से स्वामी कृष्णानंदजी की तस्वीर पर चंदन लगाते हैं और तस्वीर पर नाम लिखते हैं, लेकिन अब उन्हें ठेस पहुंचाकर ऐसा करने से रोका जा रहा है. धार्मिक भावनाएँ. निचली अदालत के आदेश की आड़ में उन्हें (याचिकाकर्ताओं को) सेवा और पूजा करने से रोका जा रहा है। इसलिए निचली अदालत के आदेश को रद्द किया जाना चाहिए.'

हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को मंदिर परिसर में पेड़ लगाने को कहा

याचिकाकर्ता के विरोध में मंदिर की ओर से कहा गया कि 'याचिकाकर्ता को पूजा करने से नहीं रोका जा रहा है, बल्कि वह धार्मिक भावनाओं की आड़ में मंदिर की मूर्ति को नुकसान पहुंचा रहा है. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने माना कि 'मंदिर की मूर्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता, लेकिन किसी को पूजा करने से भी नहीं रोका जा सकता. इसके साथ ही कोर्ट ने दोनों पक्षों को मंदिर परिसर में पेड़ लगाने को कहा है.

Report By:
Author
ASHI SHARMA