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प्रयाग में कल्पवास कल से शुरू, मोक्ष प्राप्त करना हैे तो जरूर जाएं

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Jan 1, 2018

तीर्थराज प्रयाग में विभिन्न संस्कृतियां, धर्म और विभिन्न विचारधाराओं का भी संगम होता है। विभिन्न प्रांतों से आये तीर्थयात्री आपस में विचार विमर्श कर सूचनाओं एवं ज्ञान का आदान प्रदान करते हैं।पापनाशिनी और मोक्षदायिनी विहंगम गंगा तट पर हाड कंपाने वाली सर्दी में पूरे एक महीने तक कल्पवासी तीन बार स्नान, जमीन पर शयन, जप, तप, होम, यज्ञ कर साधु-संतो के धूनी की मनमोहनक सुगंध में प्रवचन का श्रवण, एक समय भोजन या फलाहार कर कल्पवास करेंगे। इस दौरान कल्पवासी या तीर्थयात्री अन्न, काला तिल, ऊन, वस्त्र एवं बर्तन आदि का दान करते हैं। महाभारत में कहा गया है कि एक सौ साल तक बिना अन्न ग्रहण किए तपस्या करने का जो फल है, माघ मास में कल्पवास करने भर से प्राप्त हो जाता है। एक प्रसंग में मार्कंडेय धर्मराज युधिष्ठिर से कहते हैं, राजन प्रयाग तीर्थ सब पापों को नाश करने वाला है। प्रयाग में जो भी व्यक्ति एक महीना, इंद्रियों को वश में करके स्नान-ध्यान, पूजा-पाठ, यज्ञ और संतो के सानिध्य में प्रवचन करने और श्रवण से मोक्ष प्राप्त होता है।