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बैंकिंग सेक्टर में नए अभ्यर्थियों के लिए संकट

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Sep 15, 2017

नई दिल्ली : बैंकिंग सेक्टर में नौकरी की तलाश कर रहे नए अभ्यर्थियों के लिए बुरी ख़बर है। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक आने वाले 5 साल में बैंकिंग सेक्टर में करीब 30 फीसदी नौकरियों पर खतरा है। जानकारों का कहना है कि, अब बैंकों की कार्यप्रणाली में तकनीकी रूप से काफी बदलाव आ गया है। पासबुक अपडेशन, कैश डिपॉजिट, ग्राहक संबंधी सूचनाओं का वेरिफिकेशन, सैलरी आपलोड जैसे सभी काम बैंको मे अब डिजिटल तरीके से किए जाने लगें है। ऐेसे में बैंको को मानव संसाधनों की जरूरत कम हो रही है। इन तकनीक को खासकर प्राइवेट बैंको मे बढ़ावा दिया जा रहा है।

डेटा ऐंट्री ऑपरेटर्स की भी जरूरत होगी खत्म

एक प्राइवेट बैंक के अधिकारी के अनुसार, पहले के अपेक्षा चेकबुक के आवेदनों को देखें तो इसमे कमी आई है, अब 75 फीसदी काम डिजिटल तरीके से काम होने लगा है। अब बैंक शाखाओं मे स्वचालन बढ़ गया है। अब बैंको मे कैश जमा कराने के लिए ऑटोमेटिक डिपॉजिट मशीनें भी लगने लगी है। इसके बाद अब बैंको में कैश काउंट करने के लिए किसी की जरूरत नहीं होती। इससे बैंकिंग आसान तो हुई है लेकिन स्टॉफ की नियुक्तियों मे गिरावट आई हैं। जानकार तो ये भी बता रहे है कि अगले तीन साल मे डेटा ऐंट्री जैसे काम भी ऑटोमेटिक तरीके से होने लगेेेेंगे। ऐसे में आने वाले समय मे बैंकिंग सेक्टर मे नौकरियो के मौके मे निश्चित रूप से कमी आएगी।

सरकारी बैंक भी हो रहे हैं आधुनिक

अब सरकारी बैंक भी अपने कार्यप्रणाली को आधुनिक करने लगे है, अब वो भी रोबोटिक्स का प्रयोग करने लगेे है। अब भारतीय स्टेट बैंक भी इलेक्ट्रॉनिक वर्चुअल असिस्टेंस की मदद से ग्राहकों के सवालो के जवाब देने के लिए चैटबॉट का परिक्षण कर रहा है। सरकारी बैंको को कर्ज के बोझ को कम करने और अपने लागत को घटाने के लिए नए रास्ते तो तलाशने ही होंगे। अभी देश के सरकारी बैंको पर करीब छह लाख करोड़ की कर्ज के दबाव मे है। आने वाले दिनों मे सरकारी बैंको के विलय करने के बाद 27 से घटकर 6 हो जाएंगी।