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जीवाजी यूनीवर्सिटी में फर्जीवाड़े से बचने के लिए सुरक्षा मानकों के साथ बनेंगी अंकसूचियां

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Jan 3, 2019

धर्मेन्द्र शर्मा : ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय की फर्जी अंकसूची तैयार करना अब किसी के वश में नहीं रहेगा। यहां की अंकसूचियां अब नोटों (रुपए) जैसे सुरक्षा मानकों के साथ बनेंगी। असल अंकसूची की कलर्ड फोटो कॉपी संभव नहीं होगी। आठ सुरक्षा मानकों में से दो गुप्त मानक ऐसे रहेंगे, जिनकी जानकारी केवल और केवल कुलपति व परीक्षा नियंत्रक के पास ही रहेगी। ऐसे में किसी भी अंकसूची पर शंका होने की स्थिति में ये दोनों तुरंत जान सकेंगे कि अंकसूची विश्वविद्यालय से जारी हुई है या किसी ने तैयार की है।

जीवाजी विश्वविद्यालय में अंकसूचियों की यह नई व्यवस्था,यूएमएस (यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट सिस्टम) के तहत की जा रही है।इस नई व्यवस्था में अंकसूचियों में सुरक्षा के कई मानकों को अपनाया जा रहा हैं। मसलन अंकसूची बनाने के लिए पार्चड पेपर (विशेष रूप से तैयार कागज )का इस्तेमाल होगा। यह कागज लंबे समय तक खराब नहीं होता है। इसके अलावा सुरक्षा के विशेष मानक,पहचान चिन्ह रहेंगे। दो गुप्त पहचान चिन्ह भी रहेंगे, जिनकी जानकारी सार्वजनिक नहीं होगी।जिनकी जानकारी केवल कुलपति व परीक्षा नियंत्रक को ही रहेगी। इसके अलावा कागज में विशेष प्रकार के धागे रहेंगे जो पराबैगनी प्रकाश में चमकेंगे। दो सुरक्षा मानकों की इसके अलावा जो कागज इस्तेमाल होगा वह विशेष रूप से आर्डर करने पर ही चिन्हित फर्मों द्वारा, चिन्हित फर्मों केलिए ही तैयार होता है। यह बाजार में मिलने वाला आम कागज नहीं होगा।अंकसूची के चारों तरफ एक बार्डर लाइन डाली गई है। वास्तव में यह लाइन अंग्रेजी में बेहद बारीकी से लिखे गए जेयूजी की लाइन है। जो मैग्नीफाइन ग्लास से देखने पर इसमें जेयूजी दिखाई देगा। लेकिन यदि इसकी कॉपी की जाएगी तो सिर्फ लाइन ही प्रिंट होगी।

जीवाजी विश्वविद्यालय में यूएमएस सिस्टम को लागू करने के बाद कई स्तरों पर बदलाव किए जा रहे हैं। नई व्यवस्था में अब असल अंकसूची की नकल तैयार करना संभव नहीं होगा। अध्ययनशाला में ग्रेड सिस्टम के लिए लाल बॉर्डर की अंकसूची रहेगी और अन्य छात्रों के लिए आसमानी नीले रंग की बार्डर वाली अंकसूची रहेंगी। साथ ही कई सुरक्षा मानक ऐसे रहेंगे,जिससे एक नजर में असली-नकली अंकसूची की पहचान हो जाएगी।