Sep 16, 2024
मॉनसून का सीजन आते ही संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है.पानी का जमाव और बढ़ी हुई नमी कीटाणुओं को पनपने का मौका देते हैं, जिससे लोग संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं. हाल ही में WHO (World Health Organization) की रिपोर्ट में निपाह वायरस को लेकर एक नई गाइडलाइन जारी हुई है. आइए जानते हैं इसके बारे में...
केरल में रविवार को एक शख्स का निपाह वायरस से संक्रमित होने का मामला सामने आया था,जिसकी बाद में मौत हो गई. केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने मरीज की मौत की जानकारी दी थी.
जानिए क्या है निपाह?
निपाह वायरस एक तरह की ज़ूनोटिक डिजीज (Zoonotic Disease ) है. यह संक्रमण चमगादड़ के जरिए इंसानों में फैलता हैं. यदि कोई व्यक्ति निपाह वायरस से संक्रमित हो जाता है. तो वह व्यक्ति दूसरों को भी संक्रमित कर सकता हैं.
कैसे फैलता है ये वायरस?
निपाह वायरस भोजन और पानी के माध्यम से भी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है. निपाह का सबसे पहला मामला 1998 में मलेशिया और साल 1999 में सिंगापुर में देखा गया था.
क्या हैं लक्षण?
यदि कोई व्यक्ति निपाह वायरस के संपर्क में आता है . तो उसमें संक्रमण के लक्षण 4 से 14 दिन के अंदर दिखाई देने लगते हैं. US Center for Disease Control and Prevention (CDC) के मुताबिक, बुखार, सिर दर्द, खांसी, गले में ख़राश, सांस लेने में दिक्कत और उल्टी जैसे लक्षण इसमें होते हैं.कई बार गंभीर लक्षणों के कारण मरीज को नींद न आना, भ्रम, भटकाव, दौरे पड़ना, कोमा और दिमाग में सूजन आने जैसे लक्षण दिखाई पढ़ते हैं .इस दिमागी सूजन को एन्सेफलाइटिस कहते हैं, जो गंभीर होकर कोमा की वजह बनती है.
इलाज क्या है?
फिलहाल निपाह वायरस की रोकथाम के लिए कोई वैक्सीन नही बनाई गई है. WHO की स्टडी के अनुसार निपाह का इलाज सिर्फ और सिर्फ सावधानी ही है. यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, तो निपाह वायरस की चपेट में आने से बचा जा सकता है. जैसे चमगादड और सूअर के संपर्क में आने से बचें, जमीन पर गिरे या फिर सीधे पेड़ से गिरे फल ना खाएं, घर से बहार निकलते वक्त मास्क लगाकर इसे रखें और अपने हाथ नियमित रूप से धोएँ।. वहीं अगर इसमें से कोई भी लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
