Jul 11, 2017
रायपुर : तिल्दा नेवरा में एक ऐसी राईस मिल हैं, जो सालों से बंद होने के बावजूद लाखों क्विंटल चावल की कस्टम मिलिंग कर रही हैं। इस मिल की सभी मशीनें पूर्णत: जर्जर हो गई हैं। मिल पूरी तरह से कंडम हो चुकी हैं, लेकिन इसके बाद भी मिल से हर साल हजारों क्विंटल चावल की लेवी छत्तीसगढ़ राज्य विपणन संघ को भेजी जाती हैं।
एक ओर जहां देश के किसान कर्ज के बोझ तले आत्महत्या कर रहे हैं, वही तिल्दा-नेवरा की किसान राईस मिल में मिलर द्वारा शासन को करोडों का चूना लगाया जा रहा हैं। गौरतलब हैं कि नेवरा स्थित किसान राईस मिल एक ही व्यक्ति के पास हैं, जो अग्रसेन ट्रेडिंग कंपनी को किराये पर दिया गया हैं। मिल की स्थिति को जर्जर बताते हुए लिजी द्वारा विगत कई वर्षों से मिल को बंद रखा गया हैं। बावजूद इसके अग्रसेन ट्रेडिंग कंपनी द्वारा हर साल हजारों क्विंटल चावल की कस्टम मिलिंग की जा रही हैं। धान मिलिंग किये बिना लाखों क्विंटल चावल की कस्टम मिलिंग किरायेदार फर्म द्वारा की गई। जिससे शासन को करोडों रुपये का नुकसान हुआ हैं। विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रश्न क्रमांक 382 में प्रदेश में स्थित राईस मिल जो कबाड़ का रूप ले चुके हैं, लेकिन उनके रखरखाव की आड़ में हो रहे शासकीय राशि के दुरुपयोग के विषय में चाही गई जानकारी के संबंध में नेवरा किसान राईस मिल से जानकारी भेजी गई थी। जानकारी में मिल में कार्यरत लेखापाल व चौकीदार की जानकारी देने के साथ यह कहा गया था कि मिल की हालत अत्यंत जर्जर होने के कारण मेसर्स अग्रसेन ट्रेडिंग कंपनी द्वारा मिल को बंद रखा गया हैं। जिसके बाद भी ट्रेडिंग कंपनी द्वारा हजारों क्विंटल धान की कस्टम मिलिंग की गई हैं। अग्रसेन ट्रेडिंग कंम्पनी द्वारा किये गये कस्टम मिलिंग का रिकार्ड निकलवाया तो पिछले 2 सालों में कम्पनी द्वारा लगभग 40 हजार क्विंटल धान की कस्टम मिलिंग की गई हैं। वर्ष 2015-16 में कंपनी नें 15879.85 क्विंटल तथा वर्ष 2016-17 में 24923.71 क्विंटल धान की कस्टम मिलिंग की गई हैं। इस प्रकार पिछले 10 सालों में कंपनी द्वारा लगभग 2 लाख क्विंटल धान की कस्टम मिलिंग की गई है । 2 लाख क्विंटल की कस्टम मिलिंग और परिवहन राशि करोडों में हैं, जिससे सीधे-सीधे शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई गई हैं।
गौरतलब हैं कि नेवरा किसान राईस मिल इतनी जर्जर हो चुकि है कि धान मिलिंग नही की जा सकती। कंडम मिल के भीतर किरायेदार द्वारा भूंसी व कोंडहा पिसायी मिल चलाया जा रहा हैं। जिससे ऐसा प्रतीत होता हैं कि धान को खुले बाजार में बेंचकर कही और से चावल की व्यवस्था की गई और भारतीय खाद्य निगम व नागरीक आपूर्ती निगम में जमा किया गया हैं। जबकि नियमानुसार जिस मिल के नाम से रजिस्ट्रेशन किया गया हैं, मिलिंग भी उसी मिल के द्वारा किये जाने का प्रावधान हैं।