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राजधानी में हिंसा का शिकार हो रहे मासूम, तीन साल में डबल हो गए अपराध

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Aug 13, 2021

पहली घटना

ऐशबाग में 13 दिन पहले 10 साल की एक बच्ची के सिर से पापा का साया उठने के बाद सगी मां और सौतेले चाचा का कहर टूट पड़ा। आठ महीने पहले पिता चल बसे थे। मां ने बात-बात पर उसे बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया। यहां तक कि बच्ची को घर छोड़कर भागना पड़ा। चाइल्ड लाइन लाई गई बच्ची के जिस्म पर बेल्ट और डंडे से पीटे जाने के जख्म मिले। एक आंख पर गहरा घाव है। बच्ची ऐशबाग इलाके में मंदिर में मिली थी।

दूसरी घटना

पिपलानी में घटना 11 दिन पहले 13 साल की छात्रा से छेड़छाड़ का मामला सामने आया था। जब छात्रा के कहने पर मां-बाप मनचलों को समझाने गए तो आरोपियों ने उनके साथ भी मारपीट कर दी। तीनों आरोपी कॉलेज के छात्र निकले थे।

लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर

यह तो सिर्फ दो ही उदारहण है। बच्चों के मासूम खत्म होने की ऐसी कई घटनाएं हैं। लॉकडाउन का सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव अगर किसी पर पड़ा है, तो वह बच्चों पर पड़ा है। इस दौरान बच्चे सबसे ज्यादा हिंसा का शिकार हुए। यह हम नहीं बल्कि चाइल्ड लाइन के आंकड़े बताते हैं। बच्चों से होने वाले अपरधों का ग्राप दो गुना बढ़ गया। जहां वर्ष 2018-19 में चाइल्ड लाइन के पास ऐस 154 मामले पहुंचे थे वहीं वर्ष 2020-221 में संख्या 300 पहुंच गई। यानी भोपाल में हर दिन करीब एक बच्चे पर अत्याचार का मामला सामने आ रहा है। यह तो चाइल्ड लाइन तक पहुंचे मामले हैं, कई मामलों में तो रिपोर्ट तक ही नहीं हो पाती है।

MP में 2 साल से अपराध का रिकॉर्ड जारी नहीं किया

लॉकडाउन लगने के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने अपराध संबंधी जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। वर्ष 2019 में नेशनल अपराध रिकॉर्ड को अंतिम बारी जानकारी भेजी गई थी। उस दौरान इंदौर के बाद भोपाल में सबसे ज्यादा बच्चों पर अपराध हुए थे। इंदौर में बच्चों के विरुध 395 अपराध हुए थे, जबकि भोपाल में 375 केस थे। इसके अलावा भोपाल में बच्चियों से सबसे ज्यादा छेड़छाड़ के 221 और ज्यादति किए जाने के 152 मामले दर्ज किए गए थे। इन मामलों को देखते हुए कहा जा सकता है कि भोपाल बच्चों के लिए असुरक्षित हो गया है।

इंटरनेट और मोबाइल फोन से ज्यादा अपराध बढ़े

चाइल्ड लाइन की रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन में बच्चों पर सबसे ज्यादा हिंसा हुई है। इस दौरार माता-पिता के झगड़े की गुस्सा का शिकार बच्चे हुए हैं। इसके अलावा मोबाइल फोन और इंटरनेट ने बच्चों पर अपराध को ग्राफ बढ़ा दिया। इससे बच्चे ऑन लाइन और अश्लील साइड्स के साथ ही अन्य तरह के अपराध में फंस गए। इस कारण मध्यप्रदेश में अब बच्चों के प्रति अपरध को रोकने के लिए अभियान भी शुरू किया गया है।

मासूमों पर अपराध रोकना जरूरी

भोपाल चाइल्ड लाइन की प्रमुख अर्चना सहाय ने बताया कि लॉकडाउन का सबसे खराब असर किसी पर पड़ा है, तो वे बच्चे हैं। मासूमों को घर में कैद होकर रहना पड़ रहा है। स्कूल, खेल और मार्केट आदि बंद होने से वह मानसिक तनाव होने लगा है। घर में भी आर्थिक और कई कारणों से घरेलू हिंसा बढ़ी है। इसका भी सबसे ज्याद खामियाजा बच्चों को ही भुगतना पड़ रहा है। इस कारण बच्चों पर अपराध रोकना बहुत जरूरी है। इसके लिए सभी को मिकली प्रयास करने की जरूरत है।