Sep 20, 2024
2018 में उनका मानदेय क्रमशः 5,000 रुपये, 7,000 रुपये और 9,000 रुपये कर दिया गया था. लेकिन अतिथि शिक्षकों को परमानेंट करने की मांग के नजरअंदाजी ही मिली.
मध्यप्रदेश में क्या है अतिथि शिक्षकों का इतिहास ?
मध्य प्रदेश में अतिथि शिक्षक अपनी नौकरी को नियमित करने की मांग को लेकर सालों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने उनकी मांगों को बड़े पैमाने पर नजरअंदाज किया है. बुधवार को स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने एक विवादित टिप्पणी की, जिसने इस मुद्दे पर सरकार की गंभीरता की कमी को और उजागर किया. मध्य प्रदेश में अतिथि शिक्षक प्रणाली 2008 में शुरू हुई थी. 2008 से, अतिथि शिक्षकों का वेतन बहुत कम था, जिसमें विभिन्न श्रेणियों के शिक्षकों को 2,500 रुपये, 3,500 रुपये और 2017 तक 4,500 रुपये मिलते थे. 2018 में, उनका मानदेय क्रमशः 5,000 रुपये, 7,000 रुपये और 9,000 रुपये कर दिया गया.
2023 में वेतन दोगुना कर 10,000 रुपये, 14,000 रुपये और 18,000 रुपये कर दिया गया. हालांकि, इन बढ़ोतरी के बावजूद नौकरी नियमित करने की मांग पूरी नहीं हुई है. अतिथि शिक्षकों से किए गए वादे बार-बार तोड़े जा रहे हैं. 2014 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री पारस जैन ने अतिथि शिक्षकों को आश्वासन दिया था कि उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा, लेकिन सरकार बदलने के बाद यह वादा अधूरा रह गया. 2018 में कांग्रेस पार्टी ने अतिथि शिक्षकों को आश्वासन दिया था कि सत्ता में आने के तीन महीने के भीतर वे इस मुद्दे का समाधान करेंगे. हालांकि, सरकार बनने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके कारण दिसंबर 2019 से मार्च 2020 तक भोपाल के शाहजहानी पार्क में अतिथि शिक्षकों ने लंबा धरना-प्रदर्शन किया. इस विरोध-प्रदर्शन के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी मांगें पूरी की जाएंगी. हालांकि, सरकार में एक और बदलाव के बाद एक बार फिर उनकी मांगों को नजरअंदाज कर दिया गया.
2 सितंबर 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अतिथि शिक्षक पंचायत के दौरान कई वादे किए थे, लेकिन आज तक इनमें से कोई भी वादा पूरा नहीं हुआ. हाल ही में 10 सितंबर 2024 को अतिथि शिक्षकों ने फिर से विरोध प्रदर्शन किया और शिक्षा मंत्री ने आठ प्रमुख मांगों पर सहमति जताई, लेकिन नियमितीकरण का मुद्दा अभी तक नहीं सुलझ पाया है.
प्रदर्शनकारियों ने बांधी काली पट्टी
शिक्षा मंत्री के विवादित बयान के विरोध में गुरुवार से अतिथि शिक्षक समन्वय समिति के बैनर तले प्रदेश भर के अतिथि शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर स्कूलों में अपनी ड्यूटी जारी रखते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. शिक्षक तब तक ऐसा करते रहेंगे जब तक मंत्री माफी नहीं मांग लेते.