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दासगुप्ता के निधन से शास्त्रीय संगीत क्षेत्र हुआ शून्य : ममता बनर्जी

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Jan 16, 2018

सरोद की दुनिया में कई ऐसे वादक हुए जिन्होनें सरोद की दुनिया में अमिट छाप छोडी है। और बुद्धदेव दासगुप्ता उन्ही में से एक है जिन्होनें सरोद की दुनिया में एक अलग ही नाम कमाया। बडे दुख की बात है कि पद्म भूषण से सम्मानित वह व्यक्ति आज हमारे साथ नहीं है। बुद्धदेव दासगुप्ता का आज हार्टअटैक आने से निधन हो गया। यह घटना दक्षिण कोलकाता में उनके आवास स्थान पर हुई। वह 84 साल के थे। दासगुप्ता को कई दिनों से सांस की तकलीफ थी। जानकारी के मुताबिक उनके परिवार में पत्नी और दो बेटे हैं। वर्ष 1933 में बिहार के भागलपुर में अपने मामा के घर जन्मे दासगुप्ता ने पंडित राधिकामोहन मोइत्रा से सरोद वादन सीखा। उनके पिता प्रफुल्ल मोहन दासगुप्ता जिला मजिस्ट्रेट और संगीत प्रेमी थे। उन्हें 2015 में संगीत महासम्मान और बंगालविभूषण से सम्मानित किया गया। दासगुप्ता के निधन पर शो​क व्यक्त करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि दासगुप्ता के निधन ने शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में शून्य पैदा कर दिया है। वहीं ममता ने ट्वीट करके दासगुप्ता और उनके परिवार और शिष्यों के प्रति संवेदनाएं प्रकट की।