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घर पर मातृभाषा बोलने वाले बच्चे होते हैं मेधावी

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Aug 27, 2018

बच्चों को संस्कार या फिर परंपरा से जोड़े रखना है तो उन्हें मातृभाषा सीखाना जरूरी है बच्चों का संस्कृति से जुड़ाव रखने में मातृभाषा का अहम योगदान है जब बच्चे छोटे है तो उसे अपनी मां की भाषा जल्दी समझ आती है क्योंकि मतृभाषा से हम शब्दों के साथ-साथ भावनाओं को भी साझा कर सकते हैं इसलिए बच्चों से घर पर हमेशा मातृभाषा में बात करनी चाहिए कम उम्र में बच्चों को मातृभाषा के जरिए सिद्धांतों को विकसित किया जा सकता है वहीं बढ़ती उम्र में अन्य भाषा में नया शब्द सिखाया जा सकता है मातृभाषा में उन्हें नए शब्द सीखाना आसान है।

विदेश में रहनेवाले वैसे बच्चे जो अपने घर में परिवारवालों के साथ मातृभाषा में बात करते हैं और बाहर दूसरी भाषा बोलते हैं वह ज्यादा अक्लमंद होते हैं एक नए अध्ययन से यह जानकारी मिली है ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिग के शोधकर्ताओं ने शोध में यह पाया कि वैसे बच्चे जो स्कूल में अलग भाषा बोलते हैं और परिवारवालों के साथ घर में अलग भाषा का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें बुद्धिमत्ता जांच में उन बच्चों के मुकाबले अच्छे अंक लाए जो सिर्फ गैर-मातृभाषा जानते हैं।

इस अध्ययन में ब्रिटेन में रहनेवाले तुर्की के सात से 11 साल के 100 बच्चों को शामिल किया गया इस आईक्यू जांच में दो भाषा बोलने वाले बच्चों का मुकाबला ऐसे बच्चों के साथ किया गया जो सिर्फ अंग्रेजी बोलते हैं इसलिए बच्चों को आधुनिक भाषा के साथ-साथ मातृभाषा का ज्ञान होना आवश्यक है।