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इन जिलों में बनेगा बंदरों के लिए बंध्याकरण

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Nov 14, 2017

रायपुर : मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह की अध्यक्षता में आज उनके निवास में छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड की दसवीं बैठक आयोजित हुई। जिसमें भोरमदेव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने के लिए कोर और बफर क्षेत्र निर्धारित करने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।

यह प्रस्ताव अब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण(नेशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथॉरिटी) नई दिल्ली को भेजा जाएगा। प्रस्ताव के अनुसार भोरमदेव टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल लगभग 624 वर्ग किलोमीटर होगा। इसमें से 318 वर्ग किलोमीटर कोर क्षेत्र और 305 वर्ग किलोमीटर बफर क्षेत्र होगा।

कान्हा किसली टाइगर रिजर्व से लगे हुए भोरमदेव अभ्यारण्य का पर्यावरण टाइगर रिजर्व के लिए अनुकूल है। इससे प्रदेश में पर्यावरण आधारित पर्यटन (ईको पर्यटन) को बढ़ावा मिलेगा। भोरमदेव टाइगर रिजर्व देश का 51वां टाइगर रिजर्व होगा। 

बैठक में कोरिया और रायगढ़ जिले में बंदरों के बंध्याकरण (स्टरलाइजेशन) के लिए एक-एक केन्द्र स्थापित करने का निर्णय लिया गया। पिछले दिनों सरगुजा एवं उत्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक में कुछ जनप्रतिनिधियों द्वारा कोरिया और रायगढ़ जिले में बंदरों से होने वाली परेशानी का उल्लेख किया गया था।

इस संदर्भ में आज की बैठक में यह निर्णय लिया गया। प्रदेश में ईको टूरिज्म के शुभंकर ‘श्यामू-राधे’ के डिजाइन का अनुमोदन किया गया। शुभंकर के डिजाइन में राजकीय पशु वन भैंसा के सिर पर राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना को बैठा दिखाया गया है।

इस शुभंकर का उपयोग सोशल मीडिया में ईकोटूरिज्म से संबंधित जानकारियां रोचक ढंग से पहुंचाने के लिए किया जाएगा। बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि बर्ड काउंट इंडिया संस्था के सहयोग से छत्तीसगढ़ में पक्षियों का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराया जाए।

इस सर्वेक्षण के आधार पर स्टेटस ऑफ बर्डस इन छत्तीसगढ़ रिपोर्ट का प्रकाशन किया जाएगा, जिसके  आधार पर पक्षियों के संरक्षण और पक्षी आधारित ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने की कार्य योजना तैयार की जाएगी।

अधिकारियों ने बताया कि कांगेर घाटी में अनेक दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों का रहवास है। बैठक में यह जानकारी भी दी गई कि सूरजपुर जिले की प्रतापपुर तहसील में स्थित तैमोर पिंगला अभ्यारण्य में हाथी बचाओ एवं पुनर्वास केन्द्र की स्थापना के प्रस्ताव को केन्द्रीय चिड़िया घर प्राधिकरण से अनुमति मिल गई है।

यह पुनर्वास केन्द्र इस वर्ष दिसंबर तक तैयार हो जाएगा। विशेषज्ञों ने बैठक में बताया कि झारखंड और ओड़िशा में हाथियों के प्राकृतिक रहवास का नुकसान होने के कारण हाथी छत्तीसगढ़ का रूख कर रहे हैं।

हाथियों से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए इन राज्यों के साथ हाथियों के प्रवास संबंधी सूचनाओं का आदान-प्रदान आवश्यक है। विशेषज्ञों ने इसके लिए पड़ोसी राज्यों, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ एमओयू करने की आवश्यकता बतायी।

मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय वन मंत्री को इस संबंध में पत्र लिखने की सहमति प्रदान की। हाथी प्रभावित गांवों में सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति प्रदान की गई। बैठक में अचानकमार टाइगर रिजर्व में ग्राम सुरही में टाइगर सफारी का प्रस्ताव तैयार करने की सहमति प्रदान की गई।

बैठक में संसदीय सचिव तोखन साहू, विधायक द्वय सर्वश्री चिंतामणि महाराज और अशोक साहू, मुख्य सचिव विवेक ढांड, पुलिस महानिदेशक एएन उपाध्याय, वन विभाग के प्रमुख सचिव आरपी मंडल, मुख्यमंत्री के सचिव सुबोध कुमार सिंह, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) आरके सिंह और पक्षी विशेषज्ञ एएमके भरोस सहित अनेक विषय विशेषज्ञ और संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे ।