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किसानों से हो रहा खिलवाड़, अधिकारी नहीं कर रहे कार्रवाई

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Sep 30, 2017

गरियाबंद : सरकार की तमाम कोशिशों और दावों के बाद भी किसान साहूकारों और अधिकारियों के चंगूल से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। साहूकार और अधिकारी मिलकर किसानों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और उनके भोलेपन का मजाक उठा रहे हैं।

गरियाबंद के फिंगेश्वर विकासखंड की बोरसी पंचायत के रहने वाले किसान भीखम साहू, भीखम ने तीन साल पहले नौ किस्तों में एक ट्रैक्टर फाईनेंस करवाया था। छह किस्तें समय पर जमा कर दी। सातवीं किस्त किसी कारण से दो महीने लेट हो गई, तो फाईनेंस कंपनी के कर्मचारी बिना किसी सूचना के उसका ट्रैक्टर सीजिंग कर ले गये।

कंपनी ने शासन के सीजिंग रूल को भी फॉलो नहीं किया। भीखम ने इसकी लिखित शिकायत एसपी कार्यालय और फिंगेश्वर थाना में दर्ज कराई। एसपी कार्यालय से तो उसे शिकायत की पावती मिल गई, मगर फिंगेश्वर थाना के थानेदार साहब ने कार्यवाई का आश्वासन देकर शिकायत की पावती दिए बगैर ही उसे चलता कर दिया।

अब 15 दिन बाद थानेदार साहब किसी भी प्रकार की लिखित शिकायत मिलने से मुकर गए। यही नहीं एसपी कार्यालय में की गई शिकायत भी अब तक थाना नहीं पहुंची। मतलब कोई कार्यवाही शुरू ही नहीं हुई। भीखम के भोलेपन का मजाक यही खत्म नहीं हुआ, जिस डीलर से उन्होंने साढे तीन साल पहले ट्रैक्टर खरीदा था। उसने भी अभी तक ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन तक नहीं किया।

आज भीखम अपने घर के बाहर पत्नी के साथ मिलकर गिट्टी तोड़कर अपना घर चलाने पर मजबूर हैं, मगर कुछ दिन पहले इसके हालात ऐसे नहीं थे। इनके पास दो एकड़ जमीन हुआ करती थी और एक ट्रैक्टर हुआ करता था।

खेती किसानी और ट्रैक्टर के किराए से इनका घर परिवार अच्छे से चल रहा था। कुछ समय पहले भीखम की अचानक तबियत बिगड़ गई। ईलाज में जमा पूंजी के अलावा दो एकड़ जमीन भी बिक गई। यही से उसके जीवन में मुसीबतों का दौर शुरू हो गया।

आर्थिक तंगी के चलते ट्रैक्टर की 7वीं किस्त भी जमा नहीं कर पाया, एक किस्त दो महीने लेट होने पर फाईनेंसर के लोग आये और डरा धमकाकर ट्रैक्टर ले गये। अब उसके पास गिट्टी तोड़ने के सिवाय और कोई चारा नहीं बचा।

गरियाबंद में ये कहानी अकेले भीखम की नहीं हैं, बल्कि ना जाने कितने किसान साहूकारों के चंगुल में फसे हुए हैं और ना जाने उनके द्वारा की गयी शिकायते सरकारी दफ्तरों के किसी कोने में दबी पड़ी हैं।

हालात ऐसे ही रहे तो ना जाने और कितने भीखम साहू साहूकारों के चंगुल में फंसते चले जायेगे। अब देखने वाली बात होगी कि सरकार इसे कितनी गंभीरता से लेती हैं, साथ ही साहूकारों और अधिकारियों की मनमानी के चंगुल में फंसे भीखम जैसे मुसीबत के मारे किसानों को क्या मदद मिल पाती हैं।