Nov 16, 2017
रायपुर : छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में लगातार खुल रहे कोयला खदान और बढ़ते थर्मल पावर प्लांटों से प्रदूषण का स्तर जानलेवा तक पहुंच चुका है। इसका खुलासा पीपुल्स फर्स्ट कलेक्टिव के मेडिकल और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा आयोजित एक स्वास्थ्य अध्ययन में हुआ।
संस्था की ओर से छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के तामनार ब्लॉक में कोयला खदानों और थर्मल पावर प्लांटों के आस-पास रहने वाले निवासियों के बीच जांच की गई। जांच में कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं सामने आई है।
रिपोर्ट के अनुसार "छत्तीसगढ़ में कोयला खनन का स्वास्थ्य और पर्यावरणीय प्रभाव" में बिजली संयंत्रों और कोयला खानों के 2 किलोमीटर के प्रभाव क्षेत्र के भीतर आने वाले तामनार ब्लॉक के 3 गांवों में 500 से अधिक लोगों का सर्वेक्षण किया गया।
जानलेवा हवा से हो रही ये बिमारियां
रिपोर्ट के मुताबिक इस अध्ययन में प्रतिभागियों के बीच पहचाने जाने वाली स्वास्थ्य संबंधी शिकायतें काफी अधिक है। निवासियों के बीच दस सबसे प्रचलित गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों में बालों के झड़ने और कमजोर बाल, मांस पेशियों और जोड़ों का दर्द, शरीर और पीठ में दर्द, शुष्क, खुजली और त्वचा के रंग का उतरना, पैर के तलवे का फटना, सूखी खांसी की शिकायतें शामिल है।
इसके अलावा अध्ययन के निष्कर्षों के मुताबिक महिलाओं ने मुख्य रूप से कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव किया था। जिनमें से सूखी खांसी (77प्रतिशत), बालों के झड़ने(76प्रतिशत) और मांस पेशियों व जोड़ों का दर्द(68प्रतिशत) सबसे प्रचलित थे।
रिपोर्ट से यह पता चलता है कि उनके अनुसंधान के दौरान यह पाया गया कि हवा, पानी, मिट्टी और तलछट में पाए जाने वाले जहरीले पदार्थों के खतरनाक स्तरों के संपर्क में आने का आसपास में स्थित निवासियों द्वारा अनुभव किये जा रहे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़े होने की संभावना है।
करना होगा तत्काल उपाय
अध्ययन के प्रमुख जांचकर्ताओं में से एक डॉ. मननगांगुली के अनुसार इस अध्ययन के निष्कर्ष महत्वपूर्ण हैं। जिसके लिए तत्काल उपायों का करना जरूरी है। रिपोर्ट बताती है कि छत्तीसगढ़ के रायगढ़ क्षेत्र में पीढ़ियों से रहने वाले लोगों पर बड़े पैमाने पर खनन, कोयला आधारित बिजली संयंत्र और अन्य उद्योगों ने स्थायी नकारात्मक प्रभाव डाल दिए हैं। इन सबके चलते उनके पर्यावरण, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ गंभीर रूप से समझौता किया गया है।