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जान बचाने के लिए चढ़ाया गया खून बना जानलेवा

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Sep 15, 2017

रायपुर : जिस बिमारी का कभी नाम नहीं सुना था आज उससे पीडित हूं, मेरी क्या गलती थी जो मेरी जिंदगी बरबाद कर दी गई। मेरे बाद मेरे बच्चों का क्या होगा साहब, मुझे कहां न्याय मिलेगा? ये दिल दहला देने वाले सवाल उस महिला के हैं जिसे इलाज के दौरान एचआईवी संक्रमित खून चढ़ा दिया गया। अपने परिवार के साथ महिला अब न्याय के लिए भटक रही हैं।

आजाद चौंक मांढर की रहने वाली 30 वर्षीय महिला अपने पति व 2 बच्चों के साथ रहती हैं। जनवरी 2017 में उसे थकान और चक्कर आने लगे तो पति नें इलाज के लिए गांव के ही कल्याण क्लिनिक के झोलाछाप बंगाली डॉक्टर महेश्वर विश्वास को दिखाया।

27 जनवरी को झोलाछाप डॉक्टर ने जांच के बाद महिला को दो माह गर्भवती होना बताया और गर्भपात को लिए दवाई लेने का सुझाव दिया। महिला के 2 बच्चे होने के कारण दंपत्ति गर्भपात के लिए तैयार हो गए और झोलाछाप डॉक्टर की सलाह पर गर्भपात की टैबलेट लेकर घर आ गए।

एक टैबलेट से कुछ असर नहीं होने पर डॉक्टर ने एक और टेबलेट दे दी। जिससे महिला को अनियंत्रित रक्तस्राव होना शुरू हो गया और उसकी हालत बिगड़ने लगी। तीन-चार दिन में जब मामला झोलाछाप डॉक्टर के हाथ से निकलते देखा, तो महिला को बडे अस्पताल में इलाज के साथ ही साथ नसबंदी करवाने का सुझाव देकर अपने जीजा के साथ अस्पताल ले आया।

तिल्दा के केंवटपारा स्थित शोभा हॉस्पिटल में महिला को भर्ती कराया गया। जहां अत्यधिक रक्तस्राव के कारण महिला को खून चढ़ाने की जरूरत पड़ी। शोभा हॉस्पिटल के डॉ बीके विश्वास की देखरेख में महिला का टेस्ट करवाया और उसे खून चढ़ाने लगे।

शोभा हॉस्पिटल में ही बाहर से आए स्पेशलिस्ट डॉक्टर कहकर किसी डॉक्टर से महिला का नसबंदी ऑपरेशन करवाया गया। कुछ दिनों बाद हालत में सुधार आने की बात कहकर महिला को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया, लेकिन घर आने के बाद भी महिला को रक्तस्राव जारी रहा।

ऑपरेशन के टॉकों में दर्द होने और रक्तस्राव नहीं रूकने पर दंपत्ति नें डॉ विश्वास से सलाह ली। तो उसने कहा कि धीरे-धीरे रक्तस्राव रूक जाएगा, टांके कच्चे होने के कारण थोडा दर्द रहता हैं, लेकिन कुछ हफ्तों में ही महिला की हालत बिगड़ने लगी।

महिला की हालत बिगड़ते देख पति ने अन्य डॉक्टर से इलाज कराने का निर्णय लिया और मोवा रायपुर स्थित सर्वोदय अस्पताल में महिला डॉक्टर से इलाज कराने पहुंचे। सर्वोदय अस्पताल की डॉ सुषमा वर्मा नें महिला की जांच की और बताया कि गर्भपात के दौरान गर्भाशय की सफाई ठीक से नहीं हुई हैं और ऑपरेशन के टांकों में मवाद बन रहा हैं।

वहां जब महिला के ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट आई, तो सभी के होंश उड़ गए। रिपोर्ट के अनुसार महिला एचआईवी संक्रमित पाई गई। घबराएं दंपत्ति ने शोभा हॉस्पिटल में खून चढ़ाए जाने की बात बताई और वहां के डॉक्टरों की रिपोर्ट दिखाई। जिसमें महिला को एचआईवी संक्रमण नहीं था।

संक्रमण के कारणों की पुष्टि के लिए महिला के पति व दोनों मासूम बच्चों का भी टेस्ट करवाया गया, तो उनकी रिपोर्ट सामान्य पाई गई। डॉ सुषमा वर्मा ने एचआईवी का समूचित इलाज अस्पताल में नहीं होने की बात कहकर उन्हें अंबेडकर अस्पताल रायपुर जाने की सलाह दी।

अंबेडकर अस्पताल में दो दिन तक भटकने पर भी उन्हें सही जानकारी नहीं मिली और वे वापस मांढर आ गए। पीड़ित महिला के परिवार नें झोलाछाप महेश्वर विश्वास को फोन कर शोभा हॉस्पिटल के डॉक्टरों पर इलाज के दौरान लापरवाही बरतने व महिला को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने का आरोप लगाया।

जिससे डॉक्टर हड़बड़ा गया और उन्हें इस बात को किसी से भी बताने से मना किया। महेश्वर पीड़िता और उसके पति को वापस तिल्दा शोभा हॉस्पिटल ले आया, जहां महिला को पुन: भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया गया।

इस दौरान पीड़ित पक्ष पर लगातार एचआईवी संक्रमण की बात किसी से ना कहने व शोभा हॉस्पिटल के पुराने बिल और रिपोर्ट की मांग करते रहे। डॉ बीके विश्वास के कहने पर महेश्वर पीड़ित दंपत्ति को अपने साथ मेकाहारा ले गया और वहां उनका पुन: एचआईवी टेस्ट किया गया, जिसमें महिला एचआईवी संक्रमित पाई गई।

मेकाहारा में महिला को एचआईवी की दवाईयां दी गई। इस दौरान महेश्वर उनके साथ रहा और किसी से भी ज्यादा बात करने व शोभा हॉस्पिटल में चले इलाज का जिक्र करने से दंपत्ति को रोकता रहा।

यह बिमारी तो बड़े लोगों की शान हैं

पीड़िता के पति ने बताया कि शोभा हॉस्पिटल में डॉ बीके विश्वास नें उन्हे हर तरह से प्रताड़ित किया और मामले को दबाने का भरसक प्रयास किया। डॉ विश्वास ने कहा कि आजकल तो यह बीमारी आम हो गई हैं।

एड्स तो बड़े लोगों की शान हैं। डॉक्टर ने पीड़ित दंपत्ति को यहां तक धमकाया कि यदि मामले की कहीं शिकायत की तो उसका कुछ नहीं बिगड़ पाएंगे, उल्टा इन लोगों की ही बदनामी होगी। डॉक्टर ने पीड़ित पक्ष को शोभा हॉस्पिटल में इलाज के दौरान खर्च हुए पैसे के साथ 50 हजार रुपए देने का भी प्रलोभन दिया।

अस्पताल छोड़कर भागा झोलाछाप

पीड़ित दंपत्ति द्वारा किसी भी प्रकार के समझौते से मना करने और कानूनी कार्यवाई की बात कहने पर मांढर का झोलाछाप डॉक्टर महेश्वर विश्वास अपनी सारी संपत्ति और क्लिनिक बेंचकर वहां से भाग खड़ा हुआ।

मामले की जानकारी जब स्वराज की टीम को हुई तो पहले पीड़ित पक्ष से मिलकर उनकी सारी व्यथा सुनी और पीडित पक्ष के साथ विधानसभा थाने में जाकर मामले की शिकायत दर्ज करवाई। टीम ने जब शोभा हॉस्पिटल संचालक डॉ बीके विश्वास से मिलकर मामले की जानकारी चाही।

तो डॉक्टर पहले तो मामले को दबाने के लिए समझौते की बात करने लगा। जब टिम नें डॉक्टर को मामले में अपना बयान देने की बात कही तो डॉक्टर कैमरे से बचते हुए अस्पताल छोडकर भाग खडा हुआ।

हमें पैसा नहीं, न्याय चाहिए

पीड़िता व उसके परिजनों का कहना हैं कि बिना किसी जुर्म के उन्हे मौत की सजा मिली हैं। केवल डॉक्टर की लापरवाही के कारण महिला का न केवल पारिवारिक बल्कि सामाजिक जीवन भी तबाह हो गया। पीड़िता कहां-कहां अपनी बेगुनाही की सफाई देती फिरेगी।

अब उनके पास एक ही रास्ता हैं कि वे कानून की शरण में जाकर दोषियों को उनके किए की सजा दिलवाएं, ताकि जो उनके परिवार को भुगतना पड़ रहा हैं, वह किसी और के साथ ना हो। पीड़िता का कहना हैं कि उनका जीवन तो बर्बाद हो गया, अब आगे ऐसा किसी के साथ ना हो। इसके लिए वे जब तक जीवित हैं लड़ती रहेगी। उसके साथ जो अन्याय हुआ उसके लिए उसे पैसा नहीं न्याय चाहिए।