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नहीं मिल रही शिक्षा, कैसे आगे बढ़ेगा इंडिया

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Oct 7, 2017

गरियाबंद : पढ़ेगा लिखेगा तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया, मगर जब तक सब लोग पढ़ेगे लिखेंगे ही नहीं, तो कैसे आगे बढ़ेगा इंडिया। जी हां, अच्छी पढ़ाई के बिना बच्चों का सुनहरा भविष्य नहीं बन सकता और जब तक देश के बच्चों का भविष्य उज्जवल नहीं होगा, तब तक देश तरक्की के रास्ते पर आगे नहीं बढ़ सकता।

गरियाबंद जिले सहित छग के हजारों बच्चों का भविष्य पढ़ाई नहीं कर पाने के कारण अंधकारमय हो गया हैं। प्रदेश के हजारों दिव्यांग बच्चे मुकमल व्यवस्था नहीं होने के कारण पढ़ाई से वंचित हैं और इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं हैं।

सरकार ने 2016 में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम तो लागू कर दिया। मगर इसके साथ ही छग में दिव्यांग बच्चों के साथ एक बड़ा मजाक भी किया गया। सरकार ने दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष तौर से चलाये जा रहे आरबीसी सेंटर बंद कर दिये।

नतीजा ये हुआ कि इन स्कूलों में पढ़ने वाले प्रदेश के हजारों दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई बंद हो गयी। गरियाबंद जिला भी इससे अछूता नहीं रहा। गरियाबंद जिले की ममता, अंजलि, बबीता, गीतांजलि, और मोहित जो पहले से ही प्रकृति की मार झेल रहे हैं और अब इन्हें सामान्य धारा में लाने के लिए विशेष तरीके से दी जाने वाली शिक्षा की जरूरत हैं।

इनमें से कुछ ठीक से बोल और सुन नहीं पाते, तो कुछ बच्चे ठीक से समझ नहीं पाते, मगर इनके जीवन के कुछ लक्ष्य हैं। जीवन में ये कुछ बनना चाहते हैं, कोई शिक्षक बनकर दूसरों के जीवन में उजाला लाना चाहता हैं, तो कोई खुद पढ़ लिखकर अपना जीवन में आये अंधकार को दूर करना चाहता हैं।

ये सभी बच्चे अच्छी तालिम लेना चाहते हैं। इनके पालक भी इन्हें पढ़ाना चाहते हैं, मगर जिले में इनकी पढ़ाई के लिए कोई व्यवस्था नहीं हैं। पिछले साल आरबीसी सेंटर बंद होने के बाद सब बच्चों की पढ़ाई बंद हो गयी हैं। अब जिले में इनके लिए एक भी विशेष स्कूल नहीं हैं, जहां इन बच्चों को तालिम मिल सके।

इनमें से कुछ बच्चे अपने गांव में संचालित स्कूलों में जाते तो जरूर हैं, मगर सामान्य बच्चों के साथ तालमेल नहीं बैठ पाने के कारण पढ़ाई नहीं कर पाते। इनकों पढ़ाने वाले शिक्षक भी इन्हें पढ़ाने में अपने आप को बेबस मानते हैं।

जिले के अधिकारी भी बच्चों की व्यथा से भलिभांति वाकिफ हैं, मगर सर्व शिक्षा अभियान के तहत संचालित आरबीसी सेंटरों का फंड बंद हो जाने के कारण ये कुछ कर पाने में असमर्थ महसूस कर रहे हैं।

आंकड़ों की बात की जाये, तो गरियाबंद जिले के देवभोग विकासखंड में 121 बालक और 106 बालिकाएं दिव्यांग हैं। जिनकी आरबीसी सेंटर बंद होने के बाद पढ़ाई प्रभावित हो गयी हैं। यदि पूरे गरियाबंद जिले के आंकड़ों पर गौर करे तो ये आंकड़ा 500 से उपर हैं और पूरे प्रदेश का आंकड़ा हजारों में हैं।

सरकार एक तरफ सभी बच्चों को शिक्षित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं और वहीं दूसरी तरफ आरबीसी सेंटर बंद करके प्रदेश के हजारों बच्चों को शिक्षा से महरुम होने पर विवश कर रही हैं। जब प्रदेश के हजारों बच्चे जिन्हें वैसे भी शिक्षा की ज्यादा जरूरत हैं, शिक्षा से वंचित होंगे तो देश और प्रदेश कैसे आगे बढ़ सकता हैं।