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पृथक बस्तर राज्य की उठ रही मांग, शासन को मिली चेतावनी

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Sep 20, 2017

रायपुर : छत्तीसगढ़ में पृथक बस्तर राज्य की मांग उठने लगी हैं। यह मांग नक्सलियों की नहीं बल्कि आदिवासी नेताओं की हैं। दरअसल संभाग में आदिवासियों से जुड़े विभिन्न मुद्दों को लेकर सर्व आदिवासी समाज पिछले कुछ समय से लगातार आंदोलन कर रहा हैं।

आदिवासी नेताओं ने सरकार को चेताया हैं कि यदि आदिवासियों का शोषण बंद नहीं हुआ और आने वाले 6 महीने में सरकार उनकी मांगों को पूरी नहीं करती, तो वे आर्थिक नाकेबंदी के साथ ही पृथक बस्तर राज्य के लिए आंदोलन शुरू करेंगे।

आदिवासी नेताओं ने यह चेतावनी प्रशासन के साथ हुई बैठक के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए दी। 20 सितंबर को संभाग में चक्काजाम और प्रदर्शन किए जाने की घोषणा के बाद मंगलवार को संभागायुक्त कार्यालय में प्रशासन ने सर्व आदिवासी समाज की बैठक ली।

लगभग 4 घंटे चली मैराथन बैठक में आदिवासी नेताओं ने पालनार आश्रम में आदिवासी छात्राओं के साथ सुरक्षा बलों द्वारा की गई छेड़छाड़, आदिवासियों के साथ अत्याचार, पखांजूर क्षेत्र में बांग्लादेशी शरणार्थियों की एकाएक बड़ी संख्या की जांच करने और उन्हें बस्तर से बाहर निकालने, नगरनार स्टील प्लांट का निजीकरण का मामला उठाया।

अरविन्द नेताम और सोहन पोटाई ने मीडिया से बातचीत की। अरविंद नेताम ने कहा कि शासन और प्रशासन आदिवासियों से जुड़े संवैधानिक अधिकारों को बस्तर में लागू करने में पूरी तरीके से विफल रही।

वहीं उन्होंने आदिवासी समाज के पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक को संवादहीनता के खात्मे की दिशा में सराहनीय पहल बताया। वहीं 4 बार के भाजपा सांसद रहे सोहन पोटाई ने शासन प्रशासन को दो टूक चेतावनी देते हुए कहा कि 6 माह में उनकी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो पृथक बस्तर राज्य ही एकमात्र विकल्प बचेगा।