Aug 6, 2017
गरियाबंद : फसल उत्पादन में बढ़ोत्तरी के बाद अब जैविक खेती का प्रचलन शुरू हो रहा है। बीमारियों से दूर और पौष्टिकता से भरपूर कम लागत में किसान अब जैविक खेती की ओर बढ़ेंगे। बस इन किसानों को जैविक खेती के बारे में सहीं जानकारी मिलने की देरी है। जैविक खेती के बारे में जानकारी नहीं मिलने के कारण ही फसल बर्बाद, कम उत्पाद और घाटा होने का डर बना रहता है।
जिले में एक मोंटू चंद्राकर एक उन्नत किसान हैं। इसके साथ ही वो एक सफल बिजनेसमैन भी हैं। मोंटू चंद्राकर की मोगरा में 70 एकड़ का कृषि फार्म है, जिसमे वह जैविक खेती कर रहे हैं। चंद्राकर अपने खेत में करेला, बरबट्टी, खीरा और तोरई की खेती कर रहे हैं।
मोंटू चंद्रकार का कहना है कि जैविक खेती में लागत रसायनिक खेती से बहुत कम है।इसके साथ ही बीमारियों का भी खतरा नहीं रहता है। सबसे बड़ी बात है कि इसमे जमीन की उर्वरक शक्ति में कभी कमी नहीं आती है। फसल की पौष्टिकता भी बनी रहती है।वहीं डॉक्टरों का मानना है कि ज्यादातर बीमारियां खाने-पीने से ही होती है। ऐसे में जैविक खेती बीमारियों से दूर रहने के लिए कारगर साबित होती।