Loading...
अभी-अभी:

भू राजस्व संशोधनः सियासी हंगामा जारी,अादिवासी समाज ने किया विरोध

image

Jan 10, 2018

**रायपुर**। भू राजस्व संहिता में हुए संशोधन के बाद छत्तीसगढ़ में शुरू हुआ सियासी हंगामा जारी है। आदिवासियों की जमीन खरीदे जाने के सरकार के कानून पर जारी सियासत आज राजभवन पहुंच गई। नेता प्रतिपक्ष टी एस सिंहदेव, पीसीसी चीफ भूपेश बघेल समेत तमाम आला नेताओं के नेतृत्व में पहुंचे आदिवासी विधायकों ने भू राजस्व संहिता में हुए संशोधन को काला कानून बताया। इधर कल ही सर्व आदिवासी समाज द्वारा सचिव स्तरीय वार्ता का बहिष्कार किए जाने के बाद भीतरखाने से खबर आ रही है, कि सरकार इस कानून में हुए संशोधन को वापस लेने पर विचार कर रही है। **समाज ने सचिवों के प्रेजेंटेशन का किया बहिष्कार...** सरकार आदिवासी समाज के साथ-साथ विपक्ष के निशाने पर तो है ही, साथ ही खबर आ रही है कि बीजेपी संगठन के भीतर भी सरकार के इस फैसले को लेकर आदिवासी नेताओं की भौंहे चढ़ी हुई है, चर्चा है कि पिछले दिनों बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल ने जब कोरग्रुप की बैठक ली थी, तब राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष रामविचार नेताम ने यह कहकर विरोध जताया था कि इस संशोधित कानून से आदिवासी समाज के भीतर आक्रोश हैं। यह आक्रोश संगठन के लिए ठीक नहीं है। इस बीच सर्व आदिवासी समाज ने सचिवों के उस प्रेजेंटेशन का बहिष्कार कर दिया, जिसमें आदिवासी समाज के सामने संशोधित कानून के प्रावधानों की जानकारी दी जानी थी। आदिवासियों के विरोध पर ऱाजनीतिक फायदा ढूंढ रही कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने आज राज्यपाल बलरामदास टंडन से मुलाकात की और भू राजस्व संहिता विधेयक के संशोधित प्रावधानों का विरोध किया। इस दौरान भूपेश बघेल ने कहा कि प्रदेश में 32 फीसदी आदिवासी निवास करते हैं। 85 ब्लॉक आदिवासी क्षेत्रों में आते हैं।वहां पैसा कानून लागू है। ऐसे में ये जो कानून लाया गया है,यह आदिवासियों के लिए काला कानून है, आदिवासियों की जमीन छिनने के लिए ये कानून लाया गया है। हमने राज्यपाल से कहा है कि आप आदिवासियों के संरक्षक भी है. इस संशोधन में आप दस्तखत ना करें ये मांग की है. राज्यपाल ने कहा है कि मैं परीक्षण करूँगा. वहीं आदिवासी विधायकों को मिलने में लगे वक़्त को लेकर भूपेश ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है. नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा, ' राज्यपाल से आग्रह करने गए थे कि आप संवैधानिक अधिकार के तहत इस बिल को ध्वस्त करे. आदिवासी समाज की अस्मिता प्रभावित होगी. रिहैबिलिटेशन पॉलिसी लागू नहीं हो पाएगी. एक काम आज तक नहीं रुका है जहां आदिवासियों की जमीन की वजह से सरकार का कोई काम रुका है. ऐसी क्या जरूरत सरकार को पड़ गई कि कानून में संशोधन करना पड़ गया.'। भू राजस्व संहिता में हुए संशोधन के विरोध के खड़े सर्व आदिवासी समाज की ओर से सचिव स्तरीय वार्ता का बहिष्कार किए जाने के मामले में मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह ने कहा कि- इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर दिया गया है. खासतौर पर कांग्रेस इसे लेकर समाज के बीच भ्रम फैला रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि- हम चर्चा के लिए तैयार है. चर्चा के लिए सारे दरवाजे खुले है. समाज की हर शंका का समाधान है. उन्होंने कहा कि सर्व आदिवासी समाज के सामने किसी भी तरह की शंका है, तो मैं मुख्यमंत्री के नाते एक बार नहीं बार-बार बैठकर इसे दूर करने की कोशिश करूंगा. मेरे साथ बैठने से यदि समाधान निकलेगा तो मैं बैठ कर बात करूंगा. उन्हें बुलाकर चर्चा करूँगा। डाॅ.रमन सिंह ने कहा कि- कांग्रेस ये कहकर भ्रम फैला रही है कि कोई पूंजीपति आकर जमीन खरीद लेगी, कोई उद्योग आकर जमीन ले लेंगे, सरकार में बैठे लोग जमीन ले लेंगे. यह सही नहीं है. आदिवासियों की जमीन शासकीय प्रोजेक्ट के लिए ही ली जाएगी और वह भी उनकी सहमति से. मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी इलाकों में सड़क, नहर, बिजली लाइन खींचने जैसे कार्यों के लिए ही जमीन ली जाएगी. इससे विकास बस्तर और सरगुजा जैसे इलाकों में ही होगा. बांध वहां बनेगा, पुल वहां बनेगा तो उन इलाकों के लोगों को उसका फायदा होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों की सहमति से उनकी जमीनों का अधिग्रहण यदि जल्दी होगा, तो उन्हें मुआवजा जल्दी मिलेगा. सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी आएगी. डाॅ.रमन सिंह ने यह स्पष्ट किया है कि आदिवासियों से ली जाने वाली जमीनों का उपयोग सिर्प और सिर्फ सरकारी प्रोजेक्ट के लिए ही की जाएगी. सरकारी प्रोजेक्ट के लिए ही जमीन खरीदी जाएगी. निजी क्षेत्रों में उन जमीनों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. संशोधित कानून को वापस लेने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि- अभी समाज के लोगों के बीच बैठकर चर्चा करेंगे. मिल बैठकर समाधान निकाला जाएगा।