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शराबबंदी को लेकर छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेसियों का हंगामा

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Mar 17, 2017

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा की कार्यवाही में एक बार फिर शराबबंदी को लेकर कांग्रेस ने सरकार को निशाना बनाया है।  होली बाद शुरू हुई विधानसभा की कार्यवाही में विधायक भूपेश बघेल ने आबकारी विभाग की बजट अनुदान मांग पर चर्चा के दौरान सवाल किया कि मंत्री अमर अग्रवाल बताएं कि शराब फैक्टरी से ठेकेदारों को मिलने वाला कमीशन अब कहां जाएगा? सरकार के शराब बेचने के फैसला छत्तीसगढ़ के हित में नहीं, बल्कि पार्टी और सरकार हित का है। इस पर मंत्री अग्रवाल ने तीखे तेवर दिखाते हुए कहा कि कांग्रेस विधायकों ने 13 साल में शराबबंदी पर न ध्यानाकर्षण लगाया, न चर्चा की, अब अचानक यह विरोध कैसे शुरू हो गया, समझ नहीं आ रहा। विपक्षी दल को बिलासपुर के दो और दुर्ग के एक बोधिवृक्ष से ज्ञान प्राप्त हो रहा है। भूपेश बोले- सरकार स्पष्ट करे कि प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी कर रहे हैं या नहीं। इसके बाद हंगामा शुरू हो गया और कांग्रेसी विधायक नारे लगाते हुए सदन से बाहर चले गए।

भूपेश ने कहा कि शराब फैक्टरी से करोड़ों रुपए कमीशन ठेकेदारों को मिलता था। अब सरकार में बैठे लोगों के पास जाएगा। इस्तेमाल विधानसभा चुनाव में होगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक झटके में नेशनल हाइवे की दुकानों को शिफ्ट करने की जगह बंद कर देना था। सरकार कोचिया बंद करेगी तो तस्कर पैदा होंगे।

इनको सरकारी अफसरों का संरक्षण है। विधानसभा, न्यायालय और जनता सभी शराबबंदी चाहते हैं। सरकार आज ही पूर्ण शराबबंदी की घोषणा करे। नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा कि क्या सरकार शराब बेचने का फैसला करके संविधान की मंशा को पूरा कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने आमदनी बढ़ाने की दिशा में ज्यादा ध्यान दिया। हम उम्मीद करते हैं कि राज्य दोबारा गलती नहीं करेगा।

मंत्री अग्रवाल ने जवाब में कहा कि प्रदेश की 411 दुकानें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रभावित हो रही हैं। विपक्षी दल बताएं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद किस प्रदेश में शराब दुकानें बंद कर दी गईं। शराब दुकान ठेकेदारों को चलाने दो, उनको गुंडागर्दी करने दो, यह कौन सा तर्क है। राजस्व को देखते हुए कभी भी सरकार ने नीति नहीं बनाई। प्रदेश में दुकानें बंद की गई, तो कोचिए बढ़ गए। सरकार ने सोच-समझकर फैसला किया है।

शराब की उपलब्धता ठेकेदार के पास रहेगी तो लीकेज रहेगा। इसे बंद करने नए प्रावधान हैं। शराबबंदी सरकार भी चाहती है, लेकिन व्यापाक विचार और अध्ययन के बाद। सरकार एक-एक बोतल का हिसाब रखेगी। कंपनियों में सीसीटीवी कैमरे लगा कर एक-एक बोतल का हिसाब रखा जाएगा। आबकारी अधिनियम में 2002 में संशोधन हुआ था। उसमें विसंगति सामने आने लगी, इसलिए बदलाव आवश्यक हुआ। एक्साइज मैनुअल में प्रावधान है कि सरकार शराब निर्माण कर सकती है। यहां रीटेल के लिए कॉर्पोरेशन का गठन किया गया है।