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कोरियाः अवैध खदान की बदौलत खूब फल-फूल रहा है कोयले का काला कारोबार

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Nov 21, 2019

दिनेश कुमार द्विवेदी - कोरिया जिला कोयलांचल नगरी कहलाता है, जहां कोयले का काला कारोबार भी तेजी से फल फूल रहा है। खदान के अलावा भी अवैध खदान संचालित हो रही हैं। वन क्षेत्र में ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर सुरंगनुमा गुफा बनाकर अवैध  कोयला निकाल रहे हैं। जिसमें प्रतिवर्ष खदान में दबकर किसी ना किसी की मृत्यु हो जा रही हैं। कुछ दिन पहले एक 20 वर्षीय युवक अवैध कोयले की खदान की चपेट में आने से मृत्यु हो गयी। कोरिया वनमंडल के वनों में विगत 3 वर्ष में 3 मौते जंगल में संचालित अवैध खदान से हो चुकी है, जबकि घटना के समय वन विभाग हमेशा कागजों पर खदान बंद करने की बात कहता है।

बेरोजगार युवाओं को चंद पैसे के लालच देकर मौत के मुँह में धकेलने रहे अवैध कोयला करोबारी

कोरिया जिले में बरसात खत्म होते ही कोयला तस्कर सक्रिय हो जाते  हैं। क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं को चंद पैसे के लालच देकर अवैध करोबारी उनको मौत के मुँह में धकेलने से बाज नहीं आ रहे। उन चंद पैसों से युवा नशे का आदि हो रहा है। दुष्परिणाम में चोरी के अलावा क्राइम भी बढ़ रहा है। कोयला तस्कर इनसे कोयला सस्ते दामों में खरीदकर मोटी रकम में अन्य क्षेत्रों में कोयला सप्लाय करते हैं। हाल ही  में थाना पटना क्षेत्र में 3  दिन पूर्व ग्राम पुटा के एक 20 वर्षीय युवक की कोयले में दबकर पुनः मौत हो गयी है। प्रतिवर्ष ऐसी घटनाएं घट रही है, जिसमें ना तो जिम्मेदार विभाग ध्यान दे रहा है, ना खुद इन बेरोजगार परिवार के मुखिया। आपको बता दें जिला मुख्यालय के आसपास कालरी क्षेत्र कटकोना पंडोपारा चरचा झिलिमिल में कालरी के चिन्हित क्षेत्र के अलावा वन भूमि में कोयला प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। जहां ग्रामीण अपने रोजी रोटी के लिए इन वन भूमि पर खरतनाक सुरंग बनाकर अवैध  कोयला निकालने का काम करते हैं। आप इन सुरंग के मुहाडों को देखकर दंग रह जायेंगे। यकीन नहीं होगा कि इन छोटी से गुफाओं के अंदर कई किलोमीटर बिना सुरक्षा उपकरण व ब्यवस्था के  कैसे जान जोखिम में डालकर कोयला खुदाई करते हैं। जब-जब दुखद घटना घटती है, प्रशासन नाम मात्र कागजी कार्यवाही कर अपना कोरम पूरा कर लेता है, लेकिन घटनाओं में विराम नहीं लग रहा है।

जिला प्रशासन की लापरवाही से वन विभाग भी कुछ कर पाने में असमर्थ

अवैध कोयला भंडार वन विभाग के भूमि पर है लेकिन बड़े तस्करों के शामिल होने से वन प्रशासन कार्यवाही करने में सक्षम नहीं है। विभाग का कहना है कि जिला प्रशासन को हम खबर करते हैं लेकिन मद्त नहीं मिल पाती। हमारे पास पर्याप्त बल नहीं है जो कि तस्करों से मुकाबला कर सकें। कोयले का परिवहन मध्य रात में किया जाता है। जहां पुलिस का सहयोग भी जरूरी है। ऐसी स्थिति में लाचार वन विभाग उन बेरोजगार युवक व उनके परिवार को सिर्फ समझाइश देने का काम करता है कि इन खतरनाक गुफानुमा  मौत के मुंह मे चंद पैसों  के लालच में ना जाये और समय-समय पर अवैध खदान व गुफाओं को बंद करवाया जाता है। लेकिन ग्रामीण व बेरोजगार युवा दूसरे तरफ से रास्ता बनाकर पुनः सुरंगनुमा गुफा बना लेते हैं। यहां पर पुलिस विभाग खनिज विभाग एसईसीएल अनुविभागीय अधिकारी की भी जिम्मेदारी बनती  है, लेकिन कोल तस्कर और राजनीतिक तालमेल के सामने सब नतमस्तक हैं। बेरोजगार युवक सिर्फ खदान से ही नहीं बल्कि चलती हुई कोयला ट्रेन गाड़ी के ऊपर चढकर जान जोखिम में डालकर कोयला निकालते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप कई युवकों की मौत हो चुकी है। कालरी से डंप एरिया में जा रही ट्रकों को रुकवा कर भी कोयला चोरी करने का ट्रेंड भी जोरों पर है।