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​कभी इस गांव को प्रधानमंत्री ने लिया था गोद लेकिन आज भी हालत जस की तस

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Dec 24, 2018

पुरूषोत्तम पात्रा : प्रदेश में कांग्रेस की नई सरकार के साथ ही लोगो की उम्मीदें भी बढ़ गयी है, प्रदेश की जनता को उम्मीद है कि पिछली सरकार जो अपने 15 साल में नही कर पायी नई सरकार उसे जरूर पूरा करेगी, गरियाबंद के बीहड़ जंगल मे बसे कुल्हाड़ीघाट के लोग भी कुछ ऐसा ही सोच रहे है।

17 जुलाई 1985 का वो दिन कुल्हाड़ीघाट के लोग कभी नही भूल पाएंगे जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी अपनी पत्नी सोनिया गाँधी के साथ उनके गांव आये थे, गांव की बल्दी बाई के लिए तो वो दिन ओर भी भी खुशियों से भरा था क्योंकि राजीव गाँधी ने उनकी झोपड़ी में बैठकर ही कंदमूल खाये थे, साथ ही यहाँ के आदिवासियों की हालत देखकर इस गांव को गोद लेने का निर्णय लिया था, उसके बाद जब तक कांग्रेस की सरकार रही गांव में कुछ बुनियादी काम तो हुये मगर गांव विकास की राह नही पकड़ पाया, 33 साल बाद आज भी गांव के हालात जस के तस बने हुए है, कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 95 वर्षीय बल्दी बाई सहित गांव के दूसरे लोगो को अब एक बार फिर यहाँ की तस्वीर और तकदीर बदलने की उम्मीद जगी है।

यदि गांव के ताजा हालात की बात की जाए तो स्थिति बेहद गम्भीर है, गांव में रोजगार एक बड़ी समस्या बनी हुई है, काम की तलाश में अभी गांव के 135 लोग पलायन कर चुके है, गांव तक सड़क तो बन गयी मगर बीच रास्ते मे पड़ने वाले 4 पुल नही बनने के कारण आज भी लोगो को ब्लॉक मुख्यालय तक पहुंच पाना मुश्किल होता है, गॉव में स्कूल है मगर शिक्षक नही है, अस्पाल है मगर डॉक्टरों की कमी के कारण गेट पर हमेशा ताला ही लटका रहता है, कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही कांग्रेसियों ने एक बार फिर कुल्हाडीघाट के बारे में चर्चा करना शुरु कर दिया है।

नई सरकार की घोषणाओं और दावों को लेकर प्रदेशवासियों कि तरह कुल्हाड़ीघाट के लोगो मे भी आशा जगी है, अब देखने वाली बात होगी कि नई सरकार लोगो की उम्मीदों पर कब और कितनी खरी उतर पाती है।