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स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर

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Jul 17, 2018

जितेन्द्र सिन्हा : राजिम, फिंगेश्वर विकासखंड के अंतिम छोर आदिवासी बाहुल्य वनांचल ग्राम जोगीडीपा के नवनिहाल स्कूली बच्चे एक लम्बे समय से जर्जर भवन में जान जोखिम में डालकर पढने को मजबूर है, भवन की हालात इतनी जर्जर हो गई है की छत में दरारे पड़ने के साथ ही बीम की भी हालत जर्जर हो चुकी है कभी भी भरभरा कर भवन के गिरने से एक बड़ी दुर्घटना हो सकती है।

मौके पर स्वराज संवाददाता के पहुंचने पर प्रशासनिक लापरवाही व बच्चो के जान जोखिम में डालकर पढाई करते खबर प्रमुखता से चैनल में दिखाए जाने पर प्रशासनिक अमला ने त्वरित होकर अपनी तत्परता दिखाते हुए स्कूल के समीप लगे अतिरिक्त कमरा व सामुदायिक भवन में कक्षा पहली से पाचवी तक की प्राथमिक शाला की पढाई चालू है, खबर का असर होते देख मौके पर पहुचकर नवनिहालो से प्रतिनिधि द्वारा तलब किया गया बच्चो ने बड़े ही सहजता से व अब निर्भीक होकर पढाई करने की बात कही आखिरकार मीडिया में खबर चलनेके बाद शासकीय नुमाईदो के द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था कर अपने जिम्मेदारियो का निर्वाहन कर लिया है लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये उठता है की आखिरकार जर्जर शाला भवन को छोडकर स्कूली बच्चो अव्यवस्थाओ के बीच कैसे व कब तक पढाई करेंगे।

इसका जवाब किसी के पास नही है राज्य स्कूल एवं शिक्षा विभाग के द्वारा लाखो करोड़ो रूपये शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने खर्च किये जाने के बावजूद भी गाँव के अंतिम छोर के व्यक्ति तक योजना फलीभूत नहीं हो पा रही है, प्रति वर्ष शैक्षणिक सत्र के प्रारंभ होते ही जिम्मेदारो के द्वारा शाला प्रवेश उत्सव व स्कूल चलो अभियान वृहद स्तर में चलाये जाने के बावजूद भी प्रसासनिक नुमाइंदो को जर्जर एवं बदहाल भवन नजर नही आती यही वजह है की मुख्यालय के अंतिम छोर स्थित आदिवासी बाहुल्य वनांचल ग्राम के नवनिहाल बच्चे जर्जर भवन में जान जोखिम में डाल कर पढाई करने मजबूर हैै।