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ये हैं 7वीं कक्षा के जगन्नाथ, कुदरत ने छीना हाथ तो पैरों से करने लगें सारे काम

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Aug 31, 2018

लोकेश प्रधान : ये हैं जगन्नाथ बरिहा (12 साल)। जन्म से ही जगन्नाथ दोनों हाथों से अपंग हैं, विकलांग होने के कारण उसे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा, पर उसने हार नहीं मानी। परेशानियों से लड़ते हुए उसने अपनी पढ़ाई जारी रखी। अब वह कक्षा 7वीं में पहुंच गए है। जगन्नाथ बरमकेला ब्लॉक मुख्यालय से करीब 4 किमी दूर कुम्हारी गांव में रहते हैं। जगन्नाथ के एक भाई व बहन भी है। 

माता उषा बरिहा और पिता डिलेश्वर बरिहा बहुत गरीब हैं। रोजी मजूदरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। जब कुदरत ने हाथ नहीं दी तो जगन्नाथ ने अपने पैरों को अपना हाथ बना लिया। वह अब इन्हीं के सहारे अपने दैनिक जीवन के हर कार्य करने के साथ ही पैरों के सहारे ही पढ़ने-लिखने के साथ भोजन भी करता है।  भगवान ने जगन्नाथ को तेज दिमाग दिया है। टीचर उसे जो एक बार बता देते हैं, वह उसे याद हो जाता है। 

पढ़ाई लिखाई के साथ साथ खेलकूद में भी आगे: मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसलो से उड़ान होती है। यह शेर जगन्नाथ पर सटीक बैठता है जिन्हें जन्म से ही विकलांगता का अभिशाप मिला है, लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी और इस अभिशाप को दरकिनार कर उसे अपनी ताकत बना लिया। इनमें हुनर ऐसा है, जिसे देखकर लोग चकित रह जाते हैं। सरायपाली शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला के प्रभारी एचएम बालमुकुंद पटेल बताते हैं कि जगन्नाथ अपने कक्षा में पढ़ाई में अव्वल होने के साथ साथ खेलकूद में भी आगे हैं।