Jul 16, 2019
मनोज यादव : कोरबा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले सोंगगुड़ा ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम हरदीमारा में धनवार जनजाति के लगभग 2 दर्जन से अधिक परिवार निवास करते हैं। जनजाति पूरी तरह जंगल और पहाड़ों पर आश्रित है अपने जी को पार्जन के लिए वे जंगल से कंदमूल एकत्र करते हैं और यही उनका मुख्य भोजन भी है। इस गांव में रहने वाले आदिवासियों ने कभी स्कूल की सूरत नहीं देखी है हालांकि इन्हें अपने बच्चों को पढ़ाने का शौक तो है लेकिन अफसोस की बात यह है कि इस गांव के इर्द-गिर्द कहीं स्कूल भी नहीं है।
विकास की दौड़ में पिछड़ा गांव
विकास की दौड़ में काफी पीछे यह गांव इतना पिछड़ा हुआ है कि यहां आंगनबाड़ी केंद्र भी नहीं है छोटे-छोटे बच्चे घर खेत और खलिहान में खेलते हुए बड़े हो रहे हैं। इनके सामने भविष्य को लेकर भी कोई सपना नहीं है। इनमें दो राय नहीं कि यदि इस गांव में भी शिक्षा की अलख जगा दी जाए तो होनहार बच्चे अपना भविष्य बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। अशिक्षा की जंजीर में जकड़ा यह गांव स्कूल शिक्षा का मोहताज है। बच्चे गांव में बने एक मंच पर खेलकर अपना वक्त गुजार देते हैं।
अभिभावक अपने बच्चों को नहीं भेजते स्कूल
शासकीय प्राथमिक शाला यहां से लगभग 5 किलोमीटर दूर ग्राम महुआ में है यहां तक पहुंचने के लिए बच्चों को नाला के साथ घनघोर जंगल को पार करना पड़ता है। जहां हमेशा जंगली जानवरों का भय बना रहता है ।खास बात तो यह भी है कि यह हाथी प्रभावित क्षेत्र है, इसलिए अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजना उचित नहीं समझते हैं। इस गांव के किनारे कई बार हाथियों का दल भी भ्रमण कर चुका है और यहां की खेत और बाड़ी को नुकसान भी पहुंचा चुका है। ऐसा ही है कि शासन के ध्यान इस गांव की ओर नहीं होगा। लेकिन प्रशासनिक अधिकारी दिलचस्पी नहीं होने के कारण गांव के बच्चे शिक्षा से कोसों दूर है।