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“शिक्षा का मजाक” ‘ए फॉर एप्पल’ तो दूसरी ओर ‘दो दुनी चार’ का शोर, इस रिपोर्ट में जाने ऐसे संचालित हो रही कक्षाएं

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Jan 12, 2019

हरिओम श्रीवास - शिक्षा में बंटवारा एक कमरा और दो ही ब्लैकबोर्ड दोनों के हिस्से दो हैं पहले बात कमरे के बंटवारे की कमरे के एक कोने से आवाज आती है ए फॉर एपल तो कमरे के दूसरे कोने से आवाज आती है दो दुनी चार ‘ए फॉर एपल’ और ‘दो दुनी चार’ की आवाज आपस में टकराती है तो कुछ भी समझ पाना आसान नहीं रहता अब बात ब्लैक बोर्ड की करे तो उसे भी एक बबुल का पेड़ पर लटकाया गया हैं और एक कुर्सी के सहारे जमीन पर अब सवाल यह है कि इस नजारे को शिक्षा कहें या शिक्षा के साथ मजाक।

प्राथमिक शाला में कमरे की कमी है

बिलासपुर जिले के मस्तूरी ब्लॉक मुख्यालय से 18 किलोमीटर की दूरी पर पूर्व विधायक दिलीप लहरिया का गृह ग्राम धनगांव में जिसका आश्रित ग्राम भगवानपाली हैं में प्राथमिक शाला संचालित हो रहा हैं दिलीप लहरिया विधायक रहते हुए भी अपने गांव में एक स्कूल के लिए भवन नही बनवा पाए आज स्कूल में शिक्षक के साथ ही छात्र छात्राएं मूलभूत सुविधाओं के लिए वर्षो से तरस रहे है प्राथमिक शाला केवल एक ही कमरे में पहली से पांचवी तक संचालित कि जा रही हैं जिसमे पांच शिक्षक हैं उसमें भी एक मातृत्व अवकाश पर हैं तो दूसरे शिक्षक को पकरिया स्थित स्कूल में अटैच किया गया हैं।

खुले आसमान के नीचे बैठने को मजबूर बच्चे

वही हम बच्चों की बात करे तो वहाँ का दर्ज संख्या 122  हैं सभी खुले आसमान के नीचे बैठने को मजबूर हैं इतना ही नही एक स्थान जहाँ बच्चे बैठ रहे हैं वह एक निजी बाड़ी बच्चों की पढ़ाई में बांधा न हो इसलिए लिया गया हैं साथ ही शिक्षक भी एक टेबल कुर्सी रखकर स्कूल प्रांगण में ही कार्यालय बना कर रखे हुए दर्ज संख्या अधिक होने और भवन न होने की वजह से बैठक व्यवस्था में लगातार दिक्कतें हो रही है। इस ग्राम पंचायत के भगवानपाली स्कूल में सबसे ज्यादा परेशानी बरसात और गर्मियों के दिन होता हैं।

तीन शिक्षक उठा रहे पांचों कक्षाओं की जिम्मेदारी

अभी मैदान में बैठने पर पेड़ से कीड़े मकोड़े के बच्चों के ऊपर गिरता हैं यहां केवल तीन ही शिक्षक हैं जो पांचों कक्षाओं की जिम्मेदारी उठाये हुए है ऐसे में सवाल यह उठता है कि शिक्षक पांच कक्षाओं के विद्यार्थियो को एक साथ एक ही कमरे में कैसे पढ़ाते होंगे स्कूल व्यवस्था और शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए उच्च अधिकारियों द्वारा बैठक ली जाती हैं मस्तूरी विकासखंड में अधिकांश विद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए समुचित व्यवस्थाएं नहीं हैं कहीं दुर्घटना को दावत देते छत तो कहीं शौचालय पीने के लिए पानी तो कही बैठने तक की व्यवस्था तक नहीं है।

विभाग कर रहा नजर अंदाज

एक ऐसा स्कूल जिस पर विभाग की नजर नही पड़ रहा हैं या फिर विभाग नजर अंदाज कर रहे हैं शिक्षा विभाग को कई बार पत्र लिखकर व्यवस्था सुधारने के लिए आवेदन दे चुके हैं लेकिन विभाग अपना पल्ला झाड़ने में लगे रहते हैं और पंचायत के ऊपर डाल दिया जा रहा हैं इस सम्बंध जब मस्तूरी में पदस्थ खण्ड शिक्षा अधिकारी को अवगत कराये तो उनका जवाब आया कि स्कूल की वास्तविक स्थिति आप खुद देखकर आये या किसी से सुनकर जब अधिकारी इस तरह का जवाब देंगे तो शिक्षा का स्तर कैसे सुधरेगा ये बच्चे ही देश का भविष्य हैं लेकिन यहाँ के अधिकारी अंधेरे में लेकर जा रहे।