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अपील- बेटे की थम रही है सांसे, पैसों के अभाव में पिता हुआ लाचार

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Mar 6, 2019

अजय गुप्ता- जब स्वास्थ्य विभाग के एक कर्मचारी को उपचार के लिए कोई मदद नहीं मिल रही, तो आम आदमी को कितनी दिक्कतें होती होंगी। यह आसानी से समझा जा सकता है।

और तो और जब युवक के उपचार के लिए उसके परिजनों ने कोरबा लोकसभा क्षेत्र के सांसद डॉ बंशीलाल महतो, जो खुद एक डाक्टर हैं, से मदद की गुहार लगाई तो उसके बावजूद भी सांसद कोटे से उनके उपचार में कोई रुचि नहीं दिखाई गई। जिसके चलते मरीज़ के परिजन तिल—तिल कर मर रहे हैं। जब परिजन हर जगह से निराश हो गए तो उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से अजीत के उपचार के लिए मदद की अपील की। 

किडनी और लीवर की खतरनाक बीमारी की चपेट में है मरीज़

कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ में रहने वाले अजीत कुमार सिंह मनेंद्रगढ़ में ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य कार्यकर्ता के पद संविदा में पदस्थ है। बीते कुछ वर्षों से अजीत किडनी और लीवर की खतरनाक बीमारी की चपेट में आ गए। बीमारी का पता चलने पर कई वर्षों तक महानगरों में उनका उपचार कराया गया,लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बीमारी बढ़ने पर परिजन उन्हें लेकर दिल्ली पहुंचे,जहां डाक्टरों ने उनके उपचार के लिए 30 लाख रुपए का इंतजाम करने को कहा है। ऐसी हालात में अब परिवार के लोग हर संभव, हर जगह मदद के लिए गुहार लगा चुके है,लेकिन अब तक उन्हें कहीं से कोई मदद नहीं मिल पाई।

बेटे के उपचार के लिए बुजुर्ग पिता हुये बेबस

अपने बेबस बेटे के उपचार के लिए जब बुजुर्ग पिता को कहीं से कोई सहारा मिलता नहीं दिखा तो उन्होंने कोरबा सांसद बंशीलाल महतो से मुलाकात कर मदद चाही, तो उन्हें वहां से भी निराशा ही हाथ लगी। क्षेत्रीय सांसद ने इलाज के लिए कोई मदद तो नहीं की, लेकिन अजीत के गृहग्राम छपरा बिहार के सांसद ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के नाम पर एक पत्र तो जरुर लिखा, लेकिन यहां भी नियमों के फेर में उलझने के कारण पीड़ित को इलाज के लिए कोई मदद नहीं मिल पाई। अजीत के इलाज के लिए परिजनों ने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव से भी चर्चा की। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर अजीत के उपचार का अनुरोध किया, लेकिन वहां भी कोई मदद नहीं मिल पाई। बहरहाल यदि समय रहते अजीत का उपचार शुरु नहीं हुआ तो कुछ भी हो सकता है। ऐसे में परिजनों ने एक बार फिर से हमारे चैनल के माध्यम से मदद की गुहार लगाई है ताकि अजीत एक बार फिर अपने पैरों पर खड़ा हो सके और उसके परिवार के लोगों के चेहरों पर खुशी दिख सके।